नई दिल्ली। 2000 से अधिक किन्नरों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और सामाजिक न्याय मंत्रालय को पत्र लिखकर मंगलवार को समुदाय के लिए एक विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि हमारे पास आमदनी का कोई स्थायी स्रोत नहीं है और हम भी रोज कमाने वालों की तरह ही कमजोर हैं। लॉकडाउन की वजह से हमारी आय पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।
समुदाय ने सरकार से प्रत्येक किन्नर को प्रति माह 3000 रुपए की आर्थिक मदद देने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि यह आर्थिक मदद स्थिति फिर से सामान्य होने तक उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इसमें आगे कहा गया है कि इस तथ्य पर भी गौर किया जाना चाहिए कि अधिकांश किन्नरों के पास राशन कार्ड नहीं है और अधिकांश राज्यों में उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती है एवं अधिकांश किन्नर किराये के घर में रहते हैं।
उन्होंने सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने की भी मांग की है ताकि किन्नर सहित सभी जरूरतमंद नागरिकों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। पत्र में कहा गया है कि अधिकांश ट्रांसजेंटर लोग गरीबी, सामाजिक बहिष्कार की स्थिति में रहते हैं और अपनी आजीविका मुख्य रूप से भीख या सेक्स कार्य के माध्यम से चलाते हैं। ये दोनों काम सार्वजनिक उपस्थिति और शारीरिक संपर्क से ही चलते हैं, जो लॉकडाउन में संभव नहीं है।
पत्र में कहा गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग की अनिवार्यता के चलते किन्नर अपने काम से दूर हो गए हैं। आय का स्थायी स्रोत न होने के कारण हमारी स्थिति भी दैनिक कामगारों की तरह हो गई है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस द्वारा लगभग 4500 किन्नरों को 1500 रुपए प्रति किन्नर देने की सराहना करते हुए कहा है कि यह मदद केवल देश की कुल किन्नर जनसंख्या के एक प्रतिशत लोगों को ही मिली है।
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