मुंबई: क्रिसिल रिसर्च ने शुक्रवार को कहा कि लगातार और अधिक बारिश के कारण सब्जियों की कीमतों में तेजी आई है तथा टमाटर की कीमत अगले 2 महीनों तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती है। जमीनी स्थिति बताते हुए क्रिसिल ने कहा है कि टमाटर के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में से एक कर्नाटक में स्थिति इतनी ‘गंभीर’ है कि इस सब्जी को महाराष्ट्र के नासिक से भेजा जा रहा है।
‘2 और महीनों के लिए कीमतें ज्यादा बनी रहेंगी’
क्रिसिल रिसर्च ने कहा कि अक्टूबर-दिसंबर की अवधि के दौरान प्रमुख आपूर्तिकर्ता राज्य, कर्नाटक (सामान्य से 105 प्रतिशत अधिक), आंध्र प्रदेश (सामान्य से 40 प्रतिशत अधिक) और महाराष्ट्र (सामान्य से 22 प्रतिशत) में अधिक बारिश होने के कारण खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है। ये प्रमुख आपूर्तिकर्ता राज्य हैं। इसने कहा है कि 25 नवंबर तक कीमतों में 142 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मध्य प्रदेश और राजस्थान से फसल की कटाई जनवरी से शुरू होने तक दो और महीनों के लिए कीमतें अधिक बनी रहेगी।
’10-15 दिन में गिर सकती हैं प्याज की कीमतें’
एजेंसी ने कहा है कि मौजूदा समय में, टमाटर 47 रुपये प्रति किलो बिक रहा है और ताजा आवक शुरू होने के बाद कीमत में 30 प्रतिशत की गिरावट आएगी। प्याज के मामले में, रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में कम बारिश के कारण महाराष्ट्र के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में रोपाई में देरी हुई, जिसके कारण अक्टूबर में आवक में विलम्ब हुआ। इससे सितंबर की तुलना में प्याज की कीमतों में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, प्याज के मामले में हरियाणा से ताजा आवक 10-15 दिनों में शुरू होने की उम्मीद है, जिससे कीमतों में गिरावट आएगी।
‘आलू की बुवाई का मौसम बुरी तरह प्रभावित हुआ’
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और गुजरात में अत्यधिक बारिश के कारण रबी की एक और फसल आलू की बुवाई का मौसम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शोधकर्ताओं की स्थानीय किसानों के साथ बातचीत के अनुसार खेतों में अत्यधिक जलजमाव से आलू के कंदों की फिर से बुवाई की जा सकती है, जिससे किसानों की लागत बढ़ सकती है। अगर भारी बारिश जारी रही, तो दो और महीनों के लिए कीमतें अधिक होंगी।
‘3 हफ्तों में भिंडी की कीमतें कम होने लगेंगी’
इसने कहा है कि अगले 3 हफ्तों में भिंडी की कीमतें कम होने लगेंगी। क्रिसिल ने कहा कि आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे उत्पादन क्षेत्रों में बुवाई और शुरुआती वनस्पति चरण के दौरान भारी बारिश से उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसमें कहा गया है कि शिमला मिर्च और ककड़ी सहित अन्य सब्जियों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘उम्मीद है कि उत्तर-पूर्वी मॉनसून के वापस होने के बाद, सब्जियों की कीमतों का सबसे खराब दौर खत्म हो सकता है।’
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