आंध्र, बंगाल में सीबीआई को कार्रवाई की अनुमति नहीं देना संघीय ढांचे के खिलाफ : जेटली
‘‘यह कदम केवल वही लोग उठाते हैं जिनके पास छिपाने लायक कोई चीज होती है। जिनको भय है कि आने वाले कल में क्या होने वाला है, क्योंकि इनके हाथ भ्रष्टाचार से रंगे हुए हैं।’’
भोपाल: आंध्र प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल की सरकारों द्वारा अपने-अपने राज्यों में सीबीआई द्वारा जांच करने पर लगाई गई रोक पर निशाना साधते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ऐसा कदम केवल वही लोग उठाते हैं, जिन लोगों के हाथ भ्रष्टाचार से रंगे होते हैं और जिनके पास छिपाने के लिए कोई चीज होती है। उन्होंने कहा कि यह कदम देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है।
आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों द्वारा एक दिन पहले अपने-अपने राज्यों में जांच के लिए सीबीआई के प्रवेश पर लगाई गई रोक के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह कदम केवल वही लोग उठाते हैं जिनके पास छिपाने लायक कोई चीज होती है। जिनको भय है कि आने वाले कल में क्या होने वाला है, क्योंकि इनके हाथ भ्रष्टाचार से रंगे हुए हैं।’’ उन्होंने आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘‘उनको (इस भ्रष्टाचार की) जानकारी है।’’
शारदा चिटफंड घोटाला एवं नारदा स्टिंग ऑपरेशन की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘केवल सीबीआई को बाहर करने से पश्चिम बंगाल में शारदा-नारदा समाप्त नहीं होगा, जिसमें तृणमूल कांग्रेस का बहुत बड़ा नेतृत्व वर्ग शामिल है। ’’
जेटली ने कहा, ‘‘और आंध्र प्रदेश में तो शायद वहां की सरकार को उसकी विशेष जानकारियां हैं तथा किसी को बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है।’’ हालांकि, उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि आंध्र प्रदेश सरकार ने किसे बचाने के लिए सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगाई है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार और देशभर के केन्द्र के संगठनों में यदि कोई भ्रष्टाचार का मामला आता है तो उसकी जांच करने के लिए इस देश में सीबीआई का गठन हुआ है।
इन दो राज्यों द्वारा अपने राज्य में सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगाने पर सवाल करते हुए जेटली ने कहा, ‘‘तो आज केन्द्र की जो संस्थाएं पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में हैं, उनकी जांच कैसे होगी? जो टैक्स अधिकारी केन्द्र के उन दो राज्यों में हैं और उनमें से कोई भ्रष्टाचार करता है तो उनकी जांच कैसे होगी?’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्य ही अपनी मर्जी से कोई मामला जांच के लिए सीबीआई को देते हैं। सीबीआई (किसी राज्य से) मामला छीन नहीं सकती। जो राज्य अपनी मर्जी से देते हैं, सीबीआई उसकी जांच करती है। या कोई अदालत उनको (सीबीआई) देती है तो सीबीआई जांच करती है।’’