नई दिल्ली: आज देश में हर ओर हेराफेरी और चार सौ बीसी का बोलबाला है। यहां तक कि पेट्रोल पम्प भी अब इससे अछूते नहीं रहे। पेट्रोल पम्पों द्वारा पूरे पैसे लेकर कम पेट्रोल भरने का मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चिप लगाकर पेट्रोल पंप में तेल चोरी के खुलासे के बाद हुआ। इस खुलासे के बाद पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। इस इलैक्ट्रॉनिक चिप और रिमोट की सहायता से पेट्रोल पंप प्रति एक लीटर पर 6 से 10 प्रतिशत तक कम पेट्रोल भरते थे। रिमोट का बटन दबाने पर पाइप से पेट्रोल गिरना बंद हो जाता परंतु मीटर पर पेट्रोल की मात्रा और रुपयों का नम्बर उसी रफ्तार से चलता रहता। यानि प्रत्येक एक लीटर की कीमत चुकाने के बदले में उपभोक्ता को 6 से 10 प्रतिशत तक कम पेट्रोल मिलता था। (अगले राष्ट्रपति के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम की हो रही है चर्चा.....)
इस प्रकार एक पेट्रोल पम्प पर प्रतिदिन 30-40 हजार रुपए की हेराफेरी के हिसाब से प्रति मास 10 से 15 लाख रुपए का पेट्रोल चोरी किया जा रहा था तथा अकेले उत्तर प्रदेश में ही प्रति मास ग्राहकों को 250 करोड़ रुपए से अधिक का चूना लगाया जा रहा था।
तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर ये सब कब, कहां और कैसे शुरु हुआ?
तो हम बता दें कि इस तेल चोरी की शुरुआत औरैया के एक इंटर पास अंकुर वर्मा ने की थी। अंकुर फिलहाल पंजाब की जेल में बंद है। पंजाब पुलिस ने इस मामले का खुलासा डेढ़ साल पहले ही कर दिया था और यूपी पुलिस को आगाह भी किया था। लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि पेट्रोल चोरी का यह नेटवर्क तीन राज्यों में फ़ैल गया।
चिप लगाकर तेल चोरी करने वाला अंकुर वर्मा सिर्फ इंटर पास है और उसने तेल चोरी के धंधे की शुरुआत औरया जिले से की। अंकुर ने औरया के एक पेट्रोल पंप पर काम करते हुए इस गोरखधंधे का इजाद किया और फिर अपने नेटवर्क को यूपी, पंजाब और हरियाणा तक फैलाया। हालांकि अंकुर वर्मा अब पंजाब पुलिस के गिरफ्त में है और पूछताछ के दौरान उसने चिप के जरिए तेल चोरी के गोरखधंधे का खुलासा भी किया। अंकुर वर्मा तो जेल में है लेकिन उसके बिना ही यह धंधा फलता फूलता रहा।
अगले स्लाइड में कैसे काम करती है पेट्रोल पंप पर लगने वाली चिप.......
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