नई दिल्ली: अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए तालिबान के साथ दोहा में चल रही शांति समझौता वार्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की आशंकाओं को लेकर साफ तौर पर बताया और कहा कि शांति वार्ता में इस बात का ध्यान रखा जाए कि अफगानिस्तान की धरती भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल न हो। शांति वार्ता को लेकर भारत की आशंकाओं को सामने रखने के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई और मुख्य बातें रखीं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि तालिबान और अफगानिस्तापन के बीच की शांतिवार्ता अफगानिस्तान के नेतृत्व में हो, अफगानिस्तान के नियंत्रण में हो और पूरी तरह से अफगानिस्तान की बात हो। विदेश मंत्री ने कहा कि शांतिवार्ता में अफगिस्तान के राष्ट्रीय अधिपत्य और संप्रभुता का पूरा ध्यान रखा जाए। विदेश मंत्री ने कहा कि शांतिवार्ता का मकसद अफगानिस्तान में लोकतंत्र और मानव अधिकारों के संरक्षण को बढ़ावा देना हो।
शांति समझौता वार्ता को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इसका मकसद अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक, महिलाओं और पिछड़ों के हितों की रक्षा होना चाहिए। उन्होने कहा कि शांतिवार्ता में इस बात का ध्यान रखा जाए कि भविष्य में अफगानिस्तान में हिंसा को बढ़ावा न मिले।
विदेश मंत्री ने बताया कि अफगानिस्तान के के हर हिस्से में भारत के लगभग 400 प्रोजेक्ट चल रहे हैं जो अफगानिस्तान के विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। विदेश मंत्री ने भरोसा जताया कि भविष्य में भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते और मजबूत होंगे।
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