नई दिल्ली: सरकार ने आज यह कहते हुए बलात्कार को कानूनन अपराध बनाने से इनकार कर दिया कि भारत में वैवाहिक बलात्कार की कोई अवधारणा लागू नहीं की जा सकती, क्योंकि यहां विवाह को पवित्र माना जाता है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने कहा, 'समझा जाता है कि वैवाहिक बलात्कार की अवधारणा, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समझा जाता है, अनेक कारणों से भारतीय परिप्रेक्ष्य में उपयुक्त रूप से लागू नहीं की जा सकती। इन कारणों में शिक्षा-निरक्षरता का स्तर, गरीबी, अनेक रीति-रिवाज और मूल्य, धार्मिक आस्थाएं, विवाह को संस्कार मानने की समाज की सोच आदि हैं।' उन्होंने राज्यसभा में द्रमुक सांसद कनिमोई के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही।
कनिमोई ने गृह मंत्रालय से पूछा था कि क्या सरकार बलात्कार की परिभाषा से वैवाहिक बलात्कार के अपवाद को हटाने के लिहाज से आईपीसी में संशोधन के लिए कोई विधेयक लाएगी और क्या यह सच है कि संयुक्त राष्ट्र की महिलाओं के खिलाफ भेदभाव उन्मूलन समिति ने भारत से सिफारिश की है कि पत्नी से जबरन संबंध को अपराध घोषित किया जाए।
जवाब में चौधरी ने कहा, 'भारत के विधि आयोग ने बलात्कार से जुड़े कानूनों की समीक्षा पर 172वीं रिपोर्ट तैयार करते समय भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद में संशोधन करके वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की सिफारिश नहीं की है, इसलिए फिलहाल आईपीसी में इस बाबत संशोधन करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।'
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