'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर': मनमोहन सिंह की 'इनसाइड स्टोरी' से कांग्रेस बेचैन! अनुपम खेर ने बताया बेस्ट फिल्म
दस साल प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह के जीवन की यह इनसाइड स्टोरी है। यह फिल्म 11 जनवरी को रिलीज होनेवाली है।
नई दिल्ली: द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर नए साल की सबसे चर्चित और विवादित फिल्म हो सकती है। यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के ऊपर बनी है। दस साल प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह के जीवन की यह इनसाइड स्टोरी है। यह फिल्म 11 जनवरी को रिलीज होनेवाली है। इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने भी यह फिल्म देखी है। हालांकि उस वक्त फिल्म में काफी कुछ होना बाकी था। अब फिल्म का प्रोमो रिलीज होते ही ये फिल्म चर्चा में आ गई है। इस फिल्म में अनुपम खेर ने मनमोहन सिंह का किरदार निभाया है। इस फिल्म में अनुपम खेर की आवाज...चाल ढ़ाल...हाव भाव ...अंदाज...देखकर ऐसा लगा है कि वाकई में मनमोहन सिंह खुद पर्दे पर उतर आए हैं। रोल इसलिए भी चुनौती पूर्ण है क्योंकि मनमोहन सिंह न तो काल्पिनिक करैक्टर हैं और न ही कोई बहुत पुराने एतिहासिक फिगर हैं। उनको तो हम आज भी रोज देखते हैं। ये फिल्म संजय बारू की किताब द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर बनी है। जिस वक्त मनमोहन सिंह प्राइम मिनिस्टर थे उस वक्त संजय बारू मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर थे। यह किताब पिछले लोकसभा चुनाव से पहले रिलीज हुई थी और इस पर बनी फिल्म आने वाले चुनाव से पहले रिलीज हो रही है। इसे सेंसर बोर्ड ने आज ही क्लीयर कर दिया है।
35 साल के करियर की यह सबसे अच्छी फिल्म: अनुपम खेर
अनुपम खेर ने आज की बात में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मेरे 35 साल के करियर की यह सबसे अच्छी फिल्म है। ये भारतीय सिनेमा की एक ऐतिहासिक फिल्म होगी। मुझे मनमोहन सिंह के रोल के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। घंटों मैंने उनके वीडियो देखे। उनके हावभाव को रिपीट करता रहा। शूटिंग के दौरान 12 घंटे तक मैं उसी थॉट प्रॉसेट में रहता था। मैंने कई महीने तक खुद को उसी तरह से जीने की जिस तरह से पीएम मनमोहन सिंह को देखा और समझा। उनके पूरे व्यक्तित्व को अपने अंदर ढाल लिया था। यहां तक कि शूटिंग के दौरान यूनिट के लोग मुझे मिस्टर प्राइम मिनिस्टर बुलाते थे। मैं जहां रहता था वहां घर के आगे नेम प्लेट पर अनुपम खेर न लिखकर मिस्टर प्राइम मिनिस्टर लिख दिया था।
किताब रिलीज हुई थी तब विवाद क्यों नहीं: खेर
अनुपम खेर ने फिल्म को लेकर उठ रहे विवाद पर कहा कि यह फिल्म पू्र्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू की लिखी किताब पर बनी है। जिस वक्त यह किताब रिलीज हुई थी उस वक्त से आज तक किसी तरह का विवाद नहीं हुआ लेकिन अब क्यों विवाद हो रहा है। अनुपम खेर ने कहा कि मनमोहन सिंह पेशे से पॉलिटिशियन नहीं थे। उन्होंने यहां तक कहा है कि में एक्सीडेंटल पीएम ही नहीं मैं एक्सीडेंटल फाइनेंस मिनिस्टर भी था। वहीं अनुपम खेर ने सोनिया गांधी के लिए कहा कि मैं उनके जज्बे की तारीफ करता हूं। देश को आजाद हुए 70 साल से ज्यादा हो गए हैं और ऐसी फिल्मों को स्वीकार्यता मिलेगी।
संजय बारू इस फिल्म में सूत्रधार
संजय बारू इस फिल्म में सूत्रधार के रूप में दिखाई देंगे। पूरी स्टोरी उनके जरिए नैरेट की गई है। कई जगह संजय बारू मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर के बजाए उनके पॉलिटिकल एडवाइजर नजर आते हैं। फिल्म में संजय बारू का रोल अक्षय खन्ना ने किया है। ये भी एक संयोग है कि अक्षय खन्ना के पिता विनोद खन्ना बीजेपी के लीडर थे और सांसद भी रहे। वे वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी थे। फिल्म के मुख्य किरदार अनुपम खेर की पत्नी भी बीजेपी की सांसद हैं और आज जब इस फिल्म के प्रोमो को बीजेपी के ट्वीटर हैंडल से रिलीज किया गया तो कुछ ही घंटों में करीब तीन लाख पच्चीस हजार लोगों ने इसे देख लिया।
फिल्म में कमाल की कॉस्टिंग
फिल्म में कॉस्टिंग काफी कमाल की है। सोनिया गांधी के रोल में जर्मन एक्ट्रेस सुजैन बर्नेट हैं जो बिल्कुल सोनिया गांधी की तरह दिखती हैं। आवाज और अंदाज भी सोनिया गांधी जैसा ही है। इस फिल्म में एक दृश्य में सोनिया गांधी का किरदार ऐसा है जो प्राइम मिनिस्टर को बड़े फैसले लेने से रोक देती हैं। कई जगह ऐसे इंन्सीडेंट दिखाए गए हैं जहां सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह के फैसलों को बदल दिया। ये बातें संजय बारू की किताब में तो लिखी गईं थी लेकिन फिल्म में होने के कारण पूरी तरह पब्लिक डोमेन में आ जाएंगी। साथ ही फिल्म में बिल्कुल साफ-साफ दिखाया गया कि किस तरह सोनिया गांधी मनमोहन सिंह के बाद राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की तैयारी में लगी थी। एक जगह वो मनमोहन सिंह से कहती हैं कि सारे फैसले आप ले लेंगे तो आने वाला प्रधानमंत्री क्या करेगा। इस फिल्म में थोड़ी देर के बाद ये बात भी सामने आती है कि आखिर कैसे राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनते बनते रह गए। फिल्म में दबाव से परेशान होकर मनमोहन सिंह कहते हैं कि वो इस्तीफा देना चाहते हैं तो सोनिया गांधी मनमोहन सिंह से ये कहती हैं कि इतने घोटाले हो रहे हैं. करप्शन के इतने केसेज हैं, ऐसे राहुल टेकओवर कैसे करे,.प्रधानमंत्री कैसे बने?
फिल्म में कई अहम घटनाओं का जिक्र
प्रियंका गांधी और राहुल गांधी का करैक्टर निभाने वाले अभिनेता भी बड़े मेहनत से खोजे हैं और बिल्कुल मिलते-जुलते हैं। राहुल गांधी ने जब मनमोहन सिंह के ऑर्डिनेंश को फाड़ा था वो घटना भी इस फिल्म में है और एक जगह ये भी दिखाया गया है कि जब सोनिया गांधी प्राइम मिनिस्टर से गंभीर राजनैतिक मुद्दों पर बात कर रही हैं तो राहुल गांधी थोड़े अलग दिखाई दिए। उस शॉट में ऐसा लगा जैसे राहुल अपने फोन पर गेम खेल रहे हैं या कोई वीडियो देख रहे हैं। इस फिल्म में अटल बिहारी वाजपेयी, एलके आडवाणी से लेकर अहमद पटेल और पी चिंदबरम के करैक्टर भी कमाल के हैं। बिल्कुल इन लोगों के जैसे दिखते हैं और उसी अंदाज में बात करते हैं।