नयी दिल्ली: दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कॉल ड्रॉप के लिए गुरुवार को उन लोगों को जिम्मेदार ठहरा दिया जो कुप्रभावों के भय से मोबाइल टावर लगाये जाने में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि हमें इसके लिए (कॉल ड्रॉप) तकनीकी समाधान पर विचार करने की जरूरत है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है हम क्या करते हैं...तरंग संचार पोर्टल शुरू करते हैं, सेमिनार आयोजित करते हैं, इस बात की जागरूकता फैलाते हैं कि ईएमएफ के उत्सर्जन से कोई बीमारी नहीं होती, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जो इस बात को गलत साबित करने में संलिप्त हैं।’’
सिन्हा दूरसंचार विभाग की विभिन्न इकाइयों द्वारा जारी सभी परिपत्रों, दिशानिर्देशों और नीतिगत निर्देशों का सार जारी करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि अच्छी कनेक्टिविटी के लिए अच्छी संरचना की जरूरत है और इसके लिए टावर और बेस टावर स्टेशन जरूरी है, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनका कहना है कि ये नहीं लगाये जाने चाहिए और कनेक्टिविटी भी उपलब्ध होनी चाहिए।’’
सिन्हा ने कहा कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की पिछली तीन तिमाहियों की रिपोर्टों में सुधार दिख रहा है। हमने आईवीआरएस के जरिये 1.25 करोड़ लोगों से बातें की हैं और जिन जगहों पर लगातार कॉल ड्रॉप हो रहा है उसे सही करने के प्रावधान भी किये हैं। पर्याप्त सुधार हुआ भी है लेकिन हम एक आदर्श स्थिति पाना चाहते हैं और मैं इसके लिए ही चिंतित हूं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मोबाइल टावर लगाने के लिए सरकारी भवनों की पेशकश की है ताकि जगह की दिक्कत को लेकर कनेक्टिविटी प्रभावित नहीं हो। सिन्हा ने कहा कि मैंने कभी यह दावा नहीं किया किया कि कॉल ड्रॉप बंद हो गये हैं। इसके लिए पर्याप्त संरचना की जरूरत है। हम नियमित निगरानी के जरिये लोगों को अच्छी सेवा देने की कोशिश करेंगे।
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