नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना को वर्तमान पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का मुकाबला करने के लिए अधिक क्षमता वाले हल्के लड़ाकू विमान (LCA) 2025 से पहले उपलब्ध होने की उम्मीद नहीं है। देश में विनिर्मित विमान तेजस मिग-21 की जगह लेगा लेकिन इसके विनिर्माण को 4 दशक बीत जाने के बाद भी इसे शामिल करने की प्रक्रिया चल ही रही है। LCA को सेंटर फॉर मिलिटरी एयरवर्थीनेस एंड सर्टिफिकेशिन (CEMILAC) से इसी साल के आरंभ में अंतिम परिचालन मंजूरी मिली। प्रमाणन से तेजस को बहु भूमिका वाले लड़ाकू विमान के रूप में स्वीकृति मिली।
तेजस हवा से हवा में और वहां से जमीन पर हमला करने और हवा में ही ईंधन भरने में सक्षम है। ऐसे एडवांस्ड फीचर से लैस होने के बावजूद तेजस अपने मौजूदा रूप में मिग-21 का सिर्फ उन्नत वर्जन है, लेकिन मौजूदा दौर के लड़ाकू विमानों की तुलना में यह कमतर है। यही नहीं, इसका उत्पादन भी सुस्त चल रहा है क्योंकि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने अब तक करीब एक दर्जन विमानों की ही डिलीवरी दी है। भारतीय वायुसेना को अभी और तेजस विमानों की जरूरत है। विमान के मौजूदा वेरिएंट की वही भूमिका है जो मिग-21 की है। इसके बाद का LCA MK-1 (A) और LCA MK-2 का वर्जन तेजस का उन्नत वर्जन होगा।
LCA MK-1 (A) उन्नत उपयोगिता वाला विमान होगा जिसमें तेजी से हथियार लोड किया जाएगा और यह बेहतर इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर के लिए उपयुक्त और इसमें AESA रडार सिस्टम होगा जिससे इसकी क्षमता काफी बढ़ जाएगी। LCA MK-2 बड़ा विमान (1.6 मीटर लंबा) होगा। इसमें अधिक शक्तिशली GE 414 इंजन होगा। आकार और शक्ति के कारण विमान में अधिक भार वहन करने की क्षमता होगी। वायुसेना ने अब तक 40 MK-1 और 83 MK-1 (A)का ऑर्डर दिया है। MK-2 विमान जब उड़ान भरना शुरू करेगा तब इसका ऑर्डर दिया जाएगा। मौजूदा तय कार्यक्रम के अनुसार, LCA MK-1 (A) 2022 तक उड़ान भरेगा। वायुसेना द्वारा दिए गए 40 तेजस विमान के पहले ऑर्डर में से सिर्फ 20 को FOC प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
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