भारत और चीन के प्रमुख जनरलों के बीच हुई बातचीत में नहीं दूर हुए मतभेद
लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के प्रमुख जनरलों के बीच बातचीत खत्म हो गई है। यह बातचीत अनिर्णायक रही क्योंकि अभी तत्काल कोई मतभेद नहीं सुलझा है और चीनी सेना की मौजूदगी की स्थिती में कोई बदलाव नहीं हुआ।
नई दिल्ली: लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के प्रमुख जनरलों के बीच बातचीत खत्म हो गई है। यह बातचीत अनिर्णायक रही क्योंकि अभी तत्काल कोई मतभेद नहीं सुलझा है और चीनी सेना की मौजूदगी की स्थिती में कोई बदलाव नहीं हुआ। दोनों सैनाओं के बीच आने वाले दिनों में और अधिक बातचीन होगी। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।
भारत ने बुधवार को चीन को दिए गए कठोर संदेश में कहा कि गलवान घाटी में हुई अप्रत्याशित घटना का द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। साथ ही उसने यह भी कहा कि उस हिंसा के लिए चीन की ‘‘पूर्व नियोजित’’ कार्रवाई सीधे तौर पर जिम्मेदार है जिसके कारण भारतीय सेना के 20 कर्मी शहीद हुए। विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग वी के बीच हुई टेलीफोन वार्ता में भारत ने ‘‘कड़े शब्दों’’ में अपना विरोध जताया और कहा कि चीनी पक्ष को अपने कदमों की समीक्षा करनी चाहिए और स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘15 जून को गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष को लेकर विदेश मंत्री ने भारत सरकार के विरोध को कड़े शब्दों में व्यक्त किया है।’’ चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्ष ‘‘जमीनी स्तर पर स्थिति को यथाशीघ्र सामान्य करने’’ तथा दोनों देशों के बीच अभी तक बनी सहमति के आधार पर सीमा क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए तैयार हो गये हैं।
जयशंकर ने वांग से यह भी कहा कि चीन की कार्रवाई वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथा स्थिति को नहीं बदलने के बारे में दोनों देशों के बीच सभी समझौतों का उल्लंघन कर जमीन पर वास्तविकताओं को बदलने के मकसद से की गयी। पेंगांग झील इलकों में पांच मई को दोनों सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीच तनातनी शुरू होने के बाद से यह दोनों पक्षों के बीच पहली उच्च स्तरीय वार्ता है। सोमवार को गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच 1967 के बाद से सबसे बड़ा टकरावा है।
1967 में नाथू ला के बीच भारत और चीन की कुमकों के बीच हिंसक टकराव में 80 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हुए थे जबकि 300 चीनी सैन्यकर्मियों की भी जान गयी थी। विदेश मंत्रालय ने वार्ता का ब्योरा देते हुए कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने रेखांकित किया कि पहले कभी नहीं हुए इस घटनाक्रम का द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। समय की मांग है कि चीनी पक्ष अपनी कार्रवाई की समीक्षा करे और (स्थिति में) सुधार के लिए कदम उठाये। ’’
उसने कहा कि इस बात की सहमति बनी कि कुल मिलाकर स्थिति से जिम्मेदार ढंग से निबटा जाएगा तथा दोनों पक्ष छह जून को तनाव कम करने को लेकर बनी सहमति को ईमानदारी से लागू करेंगे। दोनों देशों के बीच लेफ्टीनेंट स्तर की वार्ता में दोनों पक्षो ने गलवान घाटी तथा तनानती के अन्य स्थलों पर तनाव कम करने के बारे में सहमति जतायी थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों के सैनिकों को द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकाल का पालन करना चाहिए। उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा का दृढ़ता से सम्मान करना चाहिए तथा इसे बदलने के लिए एकपक्षीय ढंग से कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।’’ जयशंकर ने वांग से कहा कि स्थिति में सुधार हो ही रहा था कि चीनी पक्ष ने एलएसी के भारतीय इलाके की ओर एक ढांचा खड़ा करने का प्रयास किया। विदेश मंत्रालय ने इस वार्ता का ब्यौरा देते हुए कहा, ‘‘यह जब विवाद का स्रोत बना तो चीनी पक्ष ने पूर्व नियोजित कार्रवाई की और इसके फलस्वरूप हुई हिंसा और नुकसान के लिए यह (चीनी पक्ष की कार्रवाई) सीधे तौर पर जिम्मेदार है। ’’
मंत्रालय के अनुसार जयशंकर ने छह जून को दोनों पक्षों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच बैठक में बनी सहमति का उल्लेख किया जिसके अनुसार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव को कम करने के लिए काम किया जाएगा। पांच मई के बाद से पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाएं गलवान और कई अन्य इलाकों में तनातनी की स्थिति में हैं। पांच मई को दोनों सेनाओं के बीच पेंगांग सो नदी के तट पर संघर्ष हुआ था। तनातनी शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने यह तय किया कि वह पेंगांग सो, गलवान घाटी, डेमचाक और दौलत बेग ओल्डी सहित सभी विवादित स्थलों पर चीनी सैनिकों के आक्रामक मुद्रा से कड़ाई से निबटेगी।
चीनी पक्ष भी एलएसी के समीप बने अपने ठिकानों पर अपने रणनीतिक भंडारण में क्रमिक रूप से वृद्धि कर रहा है। इन ठिकानों पर चीन की कुमक तोपखाना, पैदल सेना के लड़ाकू वाहन और भारी सैन्य साजोसमान तेजी से पहुंचा रही है। इस तनातनी की शुरुआत का कारण भारत द्वारा पेंगांग सो झील के पास संकरे इलाके में एक महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण किया जाना तथा गलवान घाटी में दरबुक श्योक-दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली एक अन्य सड़क के बनाये जाने पर चीन का कड़ा विरोध है।
स्थित पांच और छह मई को तब और बिगड़ गयी जब भारत और चीन के करीब 250 सैनिकों के बीच हिंसक टकराव हुआ। इसी प्रकार नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी इसी प्रकार की घटना हुई। भारत-चीन सीमा पर करीब 3488 किमी लंबी एलएसी कई जगह विवाद का कारण है। चीन अरूणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है जिसका भारत कड़ाई से विरोध करता रहा है।