भारत से मीठी यादें लेकर जा रहा हूं अपने वतन: रिहा पाकिस्तानी कैदी इमरान वारसी
षडयंत्र एवं धोखाधड़ी सहित विभिन्न मामलों में भोपाल की जेल में 10 साल की सजा काटने के बाद रिहा होकर अपने वतन वापस जा रहे पाकिस्तानी कैदी मोहम्मद इमरान वारसी (40) ने सोमवार को ट्रेन में सवार होने से पहले कहा कि वह भारत से मीठी यादें लेकर जा रहा है।
भोपाल: षडयंत्र एवं धोखाधड़ी सहित विभिन्न मामलों में भोपाल की जेल में 10 साल की सजा काटने के बाद रिहा होकर अपने वतन वापस जा रहे पाकिस्तानी कैदी मोहम्मद इमरान वारसी (40) ने सोमवार को ट्रेन में सवार होने से पहले कहा कि वह भारत से मीठी यादें लेकर जा रहा है। हालांकि, हाल ही में पाकिस्तान की जेलों में छह साल तक बंद रहने के बाद वापस लौटे भारतीय कैदी हामिद निहाल अंसारी (33) की कहानी इसके उलट है। निहाल ने बुधवार को भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात के दौरान अपनी व्यथा बयां की थी और पाकिस्तान में अपने जीवन के सबसे मुश्किल वक्त के बारे में बात करते हुए भावुक हो गए थे। अंसारी की वापसी के करीब एक हफ्ते बाद वारसी वारसी को उसके वतन पाकिस्तान भेजा जा रहा है।
यहां शताब्दी एक्सप्रेस में बैठने से पहले करांची के वारसी ने मीडिया से कहा कि भारत से मीठी यादें लेकर अपने वतन पाकिस्तान जा रहा हूं। यहां मिले प्यार मोहब्बत को भुला नहीं पाऊंगा। उन्होंने कहा कि वहां (पाकिस्तान) सबसे पहले अपनी अम्मी से मिलूंगा। बाद में भारत के कोलकत्ता में रह रहे अपने बच्चों से संपर्क करूंगा और उन्हें पाकिस्तान ले जाऊंगा। वारसी ने बताया कि दोनों देशों की सरकार मुझे अपने बच्चों को पाकिस्तान ले जाने में जरूर मदद करेगी। इसी बीच, भोपाल के मंगलवारा पुलिस थाना प्रभारी उमेश चौहान ने भाषा को बताया कि वारसी को आज शताब्दी एक्सप्रेस से भोपाल से दिल्ली रवाना कर दिया गया है। वहां से उसे अन्य ट्रेन से अमृतसर ले जाया जाएगा और वहां से वाघा बॉर्डर ले जाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि वारसी की सुरक्षा के लिए उसके साथ मध्यप्रदेश पुलिस ने चार पुलिसकर्मियों को भेजा है, जिनमें सहायक उपनिरीक्षक प्रदीप मिश्रा, एक हवलदार एवं दो सिपाही शामिल हैं। चौहान ने बताया कि ये पुलिसकर्मी वारसी को मय दस्तावेजों के साथ वाघा बॉर्डर पर बनी बीएसएफ चौकी पर भारतीय जवानों के हवाले कर देंगे और उसके बाद बीएसफ जवान उसे पाकिस्तानी रेंजरों को सौंप देंगे। उन्होंने कहा कि हमें वारसी को 26 दिसंबर से पहले वाघा बॉर्डर पर बीएसएफ के हवाले करना है। हो सकता है कि हम उसे 25 दिसंबर को ही बीएसएफ जवानों के हवाले कर दें। दस साल की सजा पूरी होने के बाद भोपाल जेल से रिहाई के बाद वारसी पिछले नौ महीने से भोपाल शहर के शाहजहांनाबाद पुलिस स्टेशन के नजरबंदी केंद्र में रह रहा था।
वारसी ने रविवार को भाषा से कहा था कि भारत की जेल और पुलिस थाने में कैदियों और पुलिसकर्मियों ने अच्छा बर्ताव किया। उसने कहा कि पुलिसकर्मी ही नजरबंदी केंद्र में उसके खाने और कपड़े लत्ते की सभी जरूरतें पूरी कर रहे हैं। यहां तक कि जेल में उसकी जुर्माने की 8,000 रुपये की रकम भी सहकैदियों ने भरी ताकि उसे दो साल की अतिरिक्त कैद नहीं काटनी पड़े। वारसी ने कहा कि वह 2004 में कोलकाता आया था और यहां उसकी शादी मामा की बेटी से हुई। वह 13 और 11 साल के दो बेटों का पिता है। उसने कहा कि 2008 में पाक वापस जाने के लिए पासपोर्ट बनवाने भोपाल आया। राशन कार्ड और पैनकार्ड बनवा लिया था, लेकिन रिश्तेदारों की शिकायत के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। वारसी वारसी पर षडयंत्र करने, धोखा देने, नकली दस्तावेज पेश करने के साथ-साथ पासपोर्ट एक्ट एवं सरकारी गोपनीयता कानून के आरोप थे, जिन पर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया और दोषी पाये जाने पर अदालत ने उसे 10 साल की सजा सुनाई थी।