Tablighi Jamaat: मौलाना साद की मेडिकल रिपोर्ट आते ही क्राइम ब्रांच लेगी एक्शन, क्वारंटाइन पीरियड हुआ खत्म
मौलाना मो. साद कांधलवी और उनके चार-पांच सहयोगियों के खिलाफ एफआईर दर्ज होने से बाद से मंगलवार (14 अप्रैल) वो पहला दिन रहा, जब मामले की जांच में जुटी क्राइम ब्रांच का परिंदा भी पर मारने इलाके में नहीं फटका।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच हजरत निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम मरकज में तबलीगी जमात मामले की जांच फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। मौलाना साद का क्वारंटाइन पीरियड खत्म हो चुका है। गौरतलब है कि 28 मार्च से मौलाना साद क्वारंटाइन में था। बता दें कि, मरकज में शामिल होने के बाद तबलीगी जमाती से सुड़े सदस्य देश के अनेक हिस्सों में फैले गए, इनमें से कई कोरोना संक्रमित भी पाए गए हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच मौलाना साद की गिरफ्तारी के लिए इंटेलिजेंस की भी मदद दे ही है।
मौलाना मो. साद कांधलवी और उनके चार-पांच सहयोगियों के खिलाफ एफआईर दर्ज होने से बाद से मंगलवार (14 अप्रैल) वो पहला दिन रहा, जब मामले की जांच में जुटी क्राइम ब्रांच का परिंदा भी पर मारने इलाके में नहीं फटका। आईएएनएस की टीम शाम करीब पांच बजे निजामुद्दीन थाना परिसर में बने क्राइम ब्रांच के अस्थाई कार्यालय पर पहुंची, तो वहां ताले पड़े थे। थाना कर्मियों ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया, 'यहां (मौलाना साद के खिलाफ जांच कर रही टीम को दिया गया अस्थाई कार्यालय) तो सुबह से ही कोई नहीं आया।'
क्राइम ब्रांच के अफसर आखिरी बार कब आए? आईएएनएस के पूछने पर पुलिसकर्मियों ने कहा, 'शुरू के कुछ दिनों तक तो डीसीपी साहब (ज्वाय टिर्की) एसीपी इंस्पेक्टर की टीमें आती रहीं। धीरे-धीरे उन लोगों का आना कम हो गया। आज (मंगलवार) तो कोई पूरे दिन नहीं आया।' इस बाबत पूछे जाने पर क्राइम ब्रांच के ही सूत्रों ने आईएएनएस को मंगलवार शाम कहा, 'अब उधर (निजामुद्दीन थाना परिसर में बने अस्थाई कार्यालय में) कुछ नहीं है। वैसे भी इलाका हॉट-स्पॉट डिक्लेयर कर दिया गया है। हम लोग अपना काम कहीं से भी कर लेंगे।'
दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 'मंगलवार को मौलाना मो. साद के होम क्वारंटाइन की अवधि खत्म हो चुकी है। जब मौलाना साद की होम क्वारंटाइन की अवधि खतम हो चुकी है, तो फिर उन्हें बुलाकर क्राइम ब्रांच की टीमें पूछताछ क्यों नहीं कर रही है? आईएएनएस के इस सवाल के जबाब में दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के ही एक अधिकारी ने कहा, 'अभी नामजद आरोपियों की मेडिकल रिपोर्ट आनी बाकी है। रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की जांच कार्यवाही निर्भर है।'
उधर, बीते सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए दिल्ली पुलिस के एक आला अधिकारी ने भी कहा था, 'जमात मामले की जांच जारी है। जांच सही दिशा में चल रही है। इसलिए वक्त लग रहा है।' दिल्ली पुलिस अपराध शाखा के सूत्रों की मानें, तो कानूनी रूप से मौलाना का लुक आउट नोटिस जारी किए जाने की कार्यवाही अभी बची है। हालांकि, उस पर भी विचार हुआ है। मगर इस विषय पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
आरोपियों के लुकआउट नोटिस में विलंब क्यों? पूछने पर क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा, "एलओसी जारी करने के लिए हमें किसी से पूछना नहीं है। न ही यह कोर्ट से संबंधित बात है। हम जब चाहेंगे तो एफआरआरओ (क्षेत्रीय विदेशी पंजीयन विभाग) को डिटेल लिखकर दे देंगे। साथ ही मौलाना और बाकी सब आरोपी हमारे संपर्क में हैं। हमारे सभी नोटिसों का जबाब भी आरोपियों ने दिया है। हालांकि, यह जबाब जांच को आगे बढ़ाने जैसे थे। लिहाजा अंतिम निर्णय पर आमने सामने जांच के बाद ही पुहंचा जा सकेगा।"
जानिए मौलाना साद के बारे में
10 मई 1965 को जन्मा मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी दरअसल तबगीली जमात के फाउंडर मेंबर मौलान मुहम्मद इलियास का पोता है। वो जमात के निजामुद्दीन मरकज का प्रमुख है और उसके अनुयायी दुनिया के 213 मुल्कों में फैले हुए हैं। 16 नवंबर 2015 को जमात का प्रमुख बनने के पहले साद 20 सालों तक शूरा (केंद्रीय समिति) का सदस्य रहा, ये समिति जमात का सबसे महत्पूर्ण और ताकतवर अंग मानी जाती है। जमात के प्रमुख या अमीर का चयन यही शुरा करती है। इसके अलावा जमात के अन्य बुजुर्ग सदस्यों की राय भी ली जाती है। प्रमुख का पद मृत्यु तक के लिए होता है, किसी प्रमुख की मृत्यु के बाद ही दूसरा प्रमुख चुना जाता है। (इनपुट- आईएएनएस)