नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे डाक्टरों पर कुछ जगह थूकने की घिनौनी घटना सामने आने के बाद देशभर में इसकी निंदा हो रही है और खुद मुस्लिम समाज इसके खिलाफ है। इस्लामिक स्कॉलर अतहर हुसैन देहलवी ने इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'कोरोना, कुरान और मुसलमान' में बताया कि खुद पैगंबर साहब रास्ते पर थूकने के खिलाफ थे। इस्लामिक स्कॉलर अतहर हुसैन देहलवी ने इंडिया टीवी के कार्यक्रम में बताया कि, ''एक आदमी ने चलते हुए रास्ते पर थूका, पैगंबर साहब ने उसे मना किया और कहा कि यहां से कोई व्यक्ति या जानवर गुजर सकता है, तुम यहां पर इस तरीके से गंदगी मत करो।''
इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'कोरोना, कुरान और मुस्लमान' में इंडिया टीवी के दर्शक धर्मेंद्र जे मकवाना ने ट्विटर के जरिए सवाल पूछा था कि, " ये लोग सिर्फ फतवे पर ही अमल क्यों करते हैं और सरकारी नियमों को क्यों नहीं मानते?" इसके जवाब में अतहर हुसैन देहलवी ने कहा कि फतवा कोई धार्मिक आदेश नहीं है, इसका अर्थ है किसी चीज को रिसर्च करके उसके बारे में बता देना।
मौलाना अतहर हुसैन देहलवी ने इंडिया टीवी के कार्यक्रम में यह भी बताया कि लॉकडाउ के दौरान मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए जाना क्यों जरूरी नहीं है, उन्होंने बताया, "नमाज इस्लाम का का ऐसा फर्ज है जिसकी हर हाल में अदायगी की बात कही गयी है। लेकिन पैगंबर साहब अंतिम वक्त में जब बीमार हुए, तो वे मस्जिद में आए खुद नमाज नहीं पढ़ाई, दूसरे के पीछे नमाज पढ़ी, और जब तबीयत उनकी ज्यादा खराब हो गई तो फिर वे मस्जिद में भी नहीं आए और पैगंबर साहब ने घर पर सिर्फ इशारे से नमाज पढ़ी और अपनी जीवनी से बात बताई कि अगर आप बीमार हो जाएं और नमाज फर्ज जरूर है, लेकिन इसके साथ अपने जिस्म का भी ध्यान रखें।"
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