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Hindi News भारत राष्ट्रीय जब विवेकानंद ने कहा था ‘एक और विवेकानंद चाहिए’ जानिए क्‍यों ?

जब विवेकानंद ने कहा था ‘एक और विवेकानंद चाहिए’ जानिए क्‍यों ?

स्वामी विवेकानंद अपना पूरा जीवन अपने गुरु गुरूदेव रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे। स्वामी विवेकानन्द के ही प्रयासों से दुनिया को गुलाम भारत के इस अनमोल खजाने का पता चला जिसके बाद पूरे विश्व में शांति पाने के लिए भारत से सीखने की होड़ शुरु हो गई

swami vivekanand

मृत्यु के अंतिम दिनों में भी उन्होंने अपना ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला। दमा और शुगर के अतिरिक्त उन्हें और भी शारीरिक रोगों ने घेर रखा था। उन्होंने अपने शिष्यों को कहा भी था की ये बीमारी मुझे 40 तक भी नहीं जीने देगी। ' 4 जुलाई, 1902 को बेलूर में रामकृष्ण मठ में उन्होंने ध्यानमग्न अवस्था में महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए।

उनके शिष्यों और अनुयायियों ने उनकी स्मृति में वहाँ एक मंदिर बनवाया और समूचे विश्व में विवेकानंद तथा उनके गुरु रामकृष्ण के संदेशों के प्रचार के लिए 130 से अधिक केंद्रों की स्थापना की।

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