नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और सचिन पायलट की ओर से दायर दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया जिसमें चुनाव वाले राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान में मतदाता सूची का मसौदा टेक्स्ट फॉर्मेट में उपलब्ध कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी। मध्य प्रदेश में 28 नवंबर और राजस्थान में सात दिसंबर को विधानसभा चुनाव होना है।
न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक पीठ ने कहा, ‘‘हम इन याचिकाओं को खारिज करते हैं।’’ इन नेताओं ने अपनी याचिका में मतदाता सूची में कथित तौर पर मतदाताओं का नाम दो बार शामिल होने और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए शिकायतों का उचित समाधान करने की मांग की थी। उच्चतम न्यायालय ने आठ अक्टूबर को इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने इस मामले में आठ अक्टूबर को सुनवाई पूरी की थी। सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील विकास सिंह ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे। वकील वरुण चोपड़ा के जरिए दाखिल अर्जी में कमलनाथ ने कहा है कि पीडीएफ रूप की बजाय ‘‘नियमों के मुताबिक टेक्स्ट रूप’’ में मतदाता सूची प्रकाशित करने के निर्देश जारी किए जाने चाहिए और उन्हें अंतिम रूप से प्रकाशित करने से पहले सभी शिकायतों पर तेजी से फैसले लिए जाने चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह हर चुनाव क्षेत्र में 10 फीसदी मतदान केंद्रों में ईवीएम में डाले गए वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से औचक तौर पर किया जाना चाहिए।
बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष कराने की मांग को लेकर कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ और राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार की मांग की है।
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