मोदी सरकार को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राफेल की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं
इस सौदे में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सबसे पहले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायु सेना के लिए फ्रांस से अरबों रुपये के 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को शुक्रवार को क्लीन चिट दी है। साथ ही शीर्ष अदालत ने सौदे में कथित अनियमितताओं के लिए CBI को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।
ऑफसेट साझेदार के मामले पर तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। शीर्ष अदालत ने कहा कि लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश इन विमानों के बगैर नहीं रह सकता है। तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा कि लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है।
पीठ ने कहा कि खरीदी, कीमत और ऑफसेट साझेदार के मामले में हस्तक्षेप के लिए उसके पास कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। कोर्ट ने रेखांकित किया कि भारतीय वायुसेना को चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत है। पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे की खरीद से जुड़े सभी पहलुओं पर स्पष्टीकरण दिया है। कोर्ट ने कहा कि सितंबर 2016 में राफेल सौदे को जब अंतिम रूप दिया जा रहा था उस वक्त किसी ने इसकी खरीद पर सवाल नहीं उठाया।
उन्होंने कहा कि राफेल सौदे पर सवाल उस वक्त उठे जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने बयान दिया, यह न्यायिक समीक्षा का आधार नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि वह सरकार को 126 या 36 विमान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। अदालत की निगरानी में राफेल सौदे की जांच कराने की मांग करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी।
राफेल लड़ाकू विमान के सौदे में अनियमित्ताओं का आरोप लगाते हुये इस मामले में FIR दर्ज करने का CBI को निर्देश देने और कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच के अनुरोध के साथ ये याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिका दायर करने वालों में भाजपा के दो नेता और पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण, अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और विनीत ढांडा तथा आप पार्टी के नेता संजय सिंह शामिल थे।