नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि आपराधिक मामलों के दोषी नेताओं पर आजीवन पाबंदी लगाने के अलावा निर्वाचित जन प्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन करने की एक जनहित याचिका में मांग की गई है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने कहा कि वह दोषी सांसद व विधायकों पर आजीवन पाबंदी लगाने के पहलू पर चार दिसंबर को विचार कर सकती है। पीठ ने कहा कि सरकारी नौकरशाह और न्यायिक अधिकारी दोषसिद्धि के बाद वापस नहीं लौट सकते हैं।
केन्द्र की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार को निर्वाचित सांसद व विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों की विशेष रूप से सुनवाई करने के लिए विशेष अदालतें गठित करने पर कोई आपत्ति नहीं है। पीठ भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान अमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया ने कहा कि दागी सांसद व विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे से निपटने के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने से बेहतर यह होगा कि हर जिले में एक सत्र न्यायालय और एक मजिस्ट्रेट कोर्ट को विशेष तौर पर ऐसे मामलों के निपटारे के लिए सूचीबद्ध कर दिया जाए जिससे कि निर्धारित समय के अंदर मुकदमे का निपटारा संभव हो सके। उन्होंने कहा कि दागी सांसद व विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे से निपटने के लिए 70 स्पेशल कोर्ट बनाने की जरूरत है।
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