नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यमुना नदी के प्रदूषण का स्वत: संज्ञान लिया और इस मामले में हरियाणा से जवाब तलब किया। इससे पहले, दिल्ली जल बोर्ड ने आरोप लगाया था कि हरियाणा से यमुना नदी में दूषित जल छोड़ा जा रहा है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ दिल्ली जल बोर्ड की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा अमोनिया की अत्यधिक मात्रा वाला दूषित जल यमुना नदी में छोड़ रहा है जो क्लोरीन के साथ मिलने पर कैंसरकारी बन जाता है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम बगैर किसी बहस के नोटिस जारी कर रहे हैं। हम समूची यमुना नदी में प्रदूषण के मामले का स्वत: संज्ञान ले रहे हैं।’’ वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया। यमुना के जल में अमोनिया का स्तर बढ़ने पर दिल्ली जल बोर्ड आमतौर पर जलापूर्ति रोक देता है। जल बोर्ड ने हाल ही में शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया और हरियाणा को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया कि नदी में प्रदूषण रहित जल छोड़ा जाये।
मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि उन्हें हरियाणा में अमोनिया शोधन संयंत्र रखना है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भी कहा था कि सोनीपत में उनका एसटीपी काम नहीं कर रहा है। पीठ ने जानना चाहा कि प्रदूषक कम करने के लिये उन्हे क्या करना चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को मंगलवार के लिये सूचीबद्ध कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड से कहा कि इस याचिका की प्रति और नोटिस की तामील हरियाणा पर करे ताकि वह अपना जवाब दाखिल कर सके।
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