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Hindi News भारत राष्ट्रीय सड़कों पर प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही की निगरानी नहीं कर सकते, न ही रोक सकते: सुप्रीम कोर्ट

सड़कों पर प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही की निगरानी नहीं कर सकते, न ही रोक सकते: सुप्रीम कोर्ट

पैदल ही सैकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर अपने घरों को निकले मजदूरों से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

Supreme Court says Can't stop or monitor movement of migrant workers on roads- India TV Hindi Image Source : PTI Supreme Court says Can't stop or monitor movement of migrant workers on roads

नयी दिल्ली। लॉकडाउन के बीच देश के कई शहरों से अपने घर के लिए पैदल निकले प्रवासी मजदूरों से संबधित एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई सड़क पर चलता है या नहीं, इस पर हम कैसे नजर रख सकते हैं? मजदूरों की सुविधाओं और उन्हें घर पहुंचाने की व्यवस्था को लेकर राज्य सरकारों को फैसला करने दीजिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में प्रवासी कामगारों की आवाजाही की निगरानी करना या इसे रोकना अदालतों के लिये असंभव है और इस संबंध में सरकार को ही आवश्यक कार्रवाई करनी होगी। केन्द्र ने शीर्ष अदालत से कहा कि देश भर में इन प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिये सरकार परिवहन सुविधा मुहैया करा रही है लेकिन उन्हें कोविड-19 महामारी के दौरान पैदल ही चल देने की बजाये अपनी बारी का इंतजार करना होगा। बता दें कि, महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कुछ दिन पहले हुए रेल हादसे में 16 मजदूरों की मौत हो गई थी। इस और कुछ अन्य मुद्दे को आधार बनाते हुए एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव ने यह याचिका दायर की थी। 

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने रास्ते में फंसे कामगारों की पहचान कर उनके लिये खाने और आवास की व्यवस्था करने का सभी जिलाधिकारियों को निर्देश देने हेतु दायर आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया। इस मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से जानना चाहा कि क्या इन कामगारों को सड़कों पर पैदल ही चलने से रोकने का कोई रास्ता है। 

मेहता ने कहा कि राज्य इन कामगारों को अंतरराज्यीय बस सेवा उपलब्ध करा रहे हैं लेकिन अगर लोग परिवहन सुविधा के लिये अपनी बारी का इंतजार करने की बजाये पैदल ही चलना शुरू कर दें तो कुछ नहीं किया जा सकता है। मेहता ने कहा कि राज्य सरकारों के बीच समझौते से प्रत्येक व्यक्ति को अपने गंतव्य तक यात्रा करने का अवसर मिलेगा। इस मामले में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने हाल ही में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में राजमार्ग पर हुयी सड़क दुर्घटनाओं में श्रमिकों के मारे जाने की घटनाओं की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित किया। 

पीठ ने सवाल किया, 'हम इसे कैसे रोक सकते हैं?' पीठ ने कहा कि राज्यों को इस मामले में उचित कार्रवाई करनी चाहिए। पीठ ने कहा कि वह इस आवेदन पर विचार करने की इच्छुक नहीं है। साथ ही उसने टिप्पणी की कि अदालतों के लिये सड़कों पर चल रहे व्यक्तियों की निगरानी करना असंभव है। श्रीवास्तव ने प्रवासी कामगारों की कठिनाईयों से संबंधित निस्तारित की जा चुकी जनहित याचिका में औरंगाबाद के निकट रेलवे लाइन पर 16 श्रमिकों के एक मालगाड़ी से कुचले जाने की घटना के तुरंत बाद यह आवेदन दायर किया था।

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