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Hindi News भारत राष्ट्रीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आजम खां और उनके बेटे को जालसाजी मामले में जमानत दी जा सकती है

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आजम खां और उनके बेटे को जालसाजी मामले में जमानत दी जा सकती है

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां और उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला को दूसरा पैनकार्ड हासिल करने के लिए कथित धोखाधड़ी और दस्तावेजों की जालसाजी के मामले में जमानत दी जा सकती है।

Supreme Court, Supreme Court Azam Khan Bail, Azam Khan Bail, Azam Khan Bail Forgery Case- India TV Hindi Image Source : PTI FILE सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है, बशर्ते निचली अदालत शिकायतकर्ता से 2 सप्ताह के भीतर पूछताछ करे।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां और उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला को दूसरा पैनकार्ड हासिल करने के लिए कथित धोखाधड़ी और दस्तावेजों की जालसाजी के मामले में जमानत दी जा सकती है। अदालत ने कहा कि दोनों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है, बशर्ते निचली अदालत शिकायतकर्ता से 2 सप्ताह के भीतर पूछताछ करे। जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि मामले में चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है, जो ज्यादातर दस्तावेजी सबूतों से संबंधित है।

बेंच ने कहा कि निचली अदालत द्वारा 2 सप्ताह के भीतर बयान दर्ज करने के बाद दोनों को जमानत दी जा सकती है। यह आरोप लगाया गया है कि आजम खां ने अपने उस समय नाबालिग रहे बेटे को गलत जन्मतिथि दिखाने के लिए जाली दस्तावेजों का उपयोग करके दूसरा पैन कार्ड हासिल करने में मदद की थी, जिससे वह उत्तर प्रदेश के रामपुर में सुआर निर्वाचन क्षेत्र से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम हो सके। जमानत पर आपत्ति जताते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने तर्क दिया कि वे दोनों जालसाजी के संबंध में आदतन अपराधी हैं।

राजू ने कहा कि उनके खिलाफ 87 प्राथमिकी दर्ज हैं, जिनमें से एक दुश्मन की संपत्ति पर कब्जा करने, जाली दस्तावेजों से प्राप्त की गई है, जिसकी कीमत लाखों रुपये है। आजम खां का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि जांच पूरी हो गई है और ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया है, इसलिए उन्हें हिरासत में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि खां को सभी मामलों में जमानत मिल गई है और इसलिए उन्हें इस मामले में भी जमानत दी जानी चाहिए।

आजम की जमानत का विरोध करते हुए राजू ने कहा कि आजम खां में गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता है और वह विभिन्न मामलों में अस्पताल से भी गवाहों को प्रभावित करते रहे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में पिता-पुत्र की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। उनके खिलाफ 2019 में मामला दर्ज किया गया था।

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