नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पुडुचेरी सरकार को वित्तीय निहितार्थ वाले मंत्रिमंडल के फैसलों को लागू करने पर रोक संबंधी अपने आदेश को 10 जुलाई तक बढ़ा दिया है। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की अवकाश पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई की आवश्यकता है, लिहाजा वह इसे नियमित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर रही है। पुडुचेरी सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि उसने तीन मंत्रिमंडलीय फैसले लिये हैं, जिनमें सभी राशनकार्डधारियों को मुफ्त में चावल वितरित करना, एक विभाग का नाम बदलना और एक खस्ताहाल फैक्टरी की नीलामी शामिल है।
पुडुचेरी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इन तीनों निर्णयों में से, सभी राशनकार्डधारियों को मुफ्त में चावल वितरित किये जाने की योजना को अनुमति दी जानी चाहिये क्योंकि यह योजना बीते 10 साल से चल रही है।
उपराज्यपाल किरन बेदी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि योजना को मंजूरी नहीं दी जा सकती क्योंकि यह पहले के आदेश में एक संशोधन होगा और इसके बड़े वित्तीय निहितार्थ हैं।
उन्होंने कहा कि इससे पहले बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्डधारकों को मुफ्त में चावल वितरित किये जा रहे थे लेकिन अब पुडुचेरी सरकार लोकलुभावन चाल के तहत सभी राशन कार्डधारकों को मुफ्त चावल देना चाहती है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने चार जून को पुडुचेरी सरकार को वित्तीय निहितार्थ वाले किसी भी निर्णय को लागू नहीं करने का निर्देश दिया था।
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