नई दिल्ली: राजस्थान की जेल में बंद कैंसर से पीड़ित एक कैदी की अपनी मां की गोद में आखिरी सांस लेने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें कि 42 वर्षीय कैदी आशु जैफ ने 'मां की गोद में अंतिम सांस लेने' के लिए कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी। याचिका में कहा गया है कि मामले की सुनवाई में काफी समय लगेगा और तब तक उसकी मौत हो जाएगी, लिहाजा उसे जमानत दे दी जाए। इसी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया।
अब कैंसर पीड़ित आशु जैफ को जेल में ही रहना पड़ेगा। नकली नोटों के मामले में जयपुर की जेल में बंद आशु जैफ को मुंह का कैंसर है जिसकी ज़िंदगी अंतिम चरण में है। सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने इस याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 5 जून तक जवाब मांगा था।
आशु जैफ के पास से 23 लाख रुपये के जाली नोट बरामद हुए थे और पिछले साल जयपुर में उसके खिलाफ एक केस भी दायर किया गया था। 24 अप्रैल को राजस्थान हाईकोर्ट ने आशु जैफ की अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आशु जैफ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।
याचिकाकर्ता आशु जैफ ने कहा है कि निचली अदालत में मामले की सुनवाई में काफी समय लगेगा और तब तक उसकी मौत हो जाएगी या सुनवाई की कार्यवाही को समझने में वह अपना मानसिक संतुलन खो देगा। उसने कहा है कि कैंसर के मरीज उम्मीद खो देते हैं। मैं भी जीने की उम्मीद खो चुका हूं और अब अपनी मां की गोद में मरना चाहता हूं, जिससे आखिरी समय में मां और अपनों का साथ मिल सके।
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