नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध के मामले को सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संवैधानिक पीठ को भेज दिया। अब संविधान पीठ इस पर फैसला करेगी कि क्या इस आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध भेदभावपूर्ण है और अनुच्छेद-14 के तहत मिलने वाले समानता के अधिकार का उल्लंघन है। ये भी पढ़ें: राम रहीम की लाडली हनीप्रीत की करतूतों से हटा पर्दा, सहेली ने खोल दिए सारे राज़
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की सदस्यता वाली पीठ ने छह सवाल भी तैयार किए, जिन पर संवैधानिक पीठ विचार करेगी।
संविधान पीठ यह तय करेगी कि क्या 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं को मौजूदा प्रथा के तहत मंदिर में प्रवेश न करने देना उचित है और क्या जैविक कारक महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने का पर्याप्त आधार हैं।
संवैधानिक पीठ यह भी जांच करेगी कि क्या यह प्रतिबंध केरल हिंदू सार्वजनिक स्थान पर पूजा अधिनियम का उल्लंघन है, जिसके तहत सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश का अधिकार है। 12वीं सदीं में बना मंदिर पथानामथिट्टा जिले में स्थित है और यह भगवान अयप्पा को समर्पित है।
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