नई दिल्ली। जामिया हिंसा मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर हिंसा होगी और पत्थरबाजी होगी तो पुलिस अपनी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले को हाईकोर्ट देखेगा, मामले की जांच अब हाईकोर्ट के जिम्मे छोड़ दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट एक कमेटी का गठन करेगा और कमेटी में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी पूर्व जज की नियुक्ति के लिए भी हाईकोर्ट स्वतंत्र है।
प्रधान न्यायाधीश एस.ए.बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘‘ हम तथ्य जानने में समय बर्बाद नहीं करना चाहते, आपको पहले निचली अदालत में जाना चाहिए।’’ इससे पहले, जामिया विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के संगठन के वकील ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय को शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। वहीं प्रदर्शनकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि एएमयू, जामिया के छात्रों के खिलाफ एक के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई। इस पर पीठ ने कहा कि संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।
पीठ ने कहा कि हमने अपनी सोच से अवगत करा दिया है कि नागरिक संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन के मामले में तथ्यों का पता लगाने की कवायद के लिये पहले उच्च न्यायालय जाना चाहिए। जामिया विश्वविद्याल कुलपति के मीडिया को दिए बयान पर विचार करने से इंकार करते हुये न्यायालय ने किसी भी न्यायिक नतीजे पर पहुंचने के लिये समाचार पत्रों पर निर्भर नही रहेंगे।
केन्द्र ने न्यायालय को बताया कि कोई भी छात्र जेल में नहीं है और घालय छात्रों को पुलिस अस्पताल ले गयी थी। न्यायालय ने केन्द्र से सवाल किया कि प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें कोई नोटिस क्यों नहीं दी गयी और क्या घायल छात्रों को मेडिकल सहायता दी गयी थी।
Latest India News