दिवाली के दिन पटाखे चलाने के सिर्फ 2 घंटे का समय, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कुछ शर्तें
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सिर्फ लाइसेंस धारकों को पटाखे बेचने की इजाजत दी है। इस आदेश के बाद ऑनलाइन कंपनियां पटाखे नहीं बेच पाएंगी। सिर्फ कम शोर वाले पटाखे दिवाली पर बेचे जा सकेंगे।
नयी दिल्ली: वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिये सुप्रीम कोर्ट देश भर में पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की मांग से जुड़ी एक याचिका पर आज सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सिर्फ लाइसेंस धारकों को पटाखे बेचने की इजाजत दी है। इस आदेश के बाद ऑनलाइन कंपनियां पटाखे नहीं बेच पाएंगी। सिर्फ कम शोर वाले पटाखे दिवाली पर बेचे जा सकेंगे। इस मामले पर 28 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखने वाली न्यायमूर्ति ए के सीकरी और अशोक भूषण की पीठ ने यह फैसला सुनाना। सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि प्रतिबंध से जुड़ी याचिका पर विचार करते समय पटाखा उत्पादकों के आजीविका के मौलिक अधिकार और देश के 1.3 अरब लोगों के स्वास्थ्य अधिकार समेत विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना होगा।
पटाखों को लेकर कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें
- दिवाली और अन्य त्यौहारों पर रात को 8-10 बजे के बीच पटाखे चलाने की इजाजत
- फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पटाखे नहीं बेच सकतींं
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइटें अगर अदालत का फैसला नहीं मानती हैं तो उन्हें अदालत की अवमानना का जिम्मेदार माना जाएगा
- उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों को त्योहारों के दौरान सामुदायिक रूप से पटाखे छोड़े जाने की व्यवहार्यता पर विचार करने का निर्देश दिया।
- केंद्र से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दीपावली एवं अन्य त्योहारों के दौरान सामुदायिक स्तर पर पटाखे छोड़े जाने को प्रोत्साहन देने के लिए कहा
- अगर किसी क्षेत्र में प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री होती है तो इसके लिए संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा
- बाजार में केवल अनुमेय डेसीबल ध्वनि सीमा वाले पटाखों की बिक्री को ही अनुमति मिलेगी : उच्चतम न्यायालय
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) सभी वर्ग के लोगों पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध पर विचार करते समय संतुलन बरकरार रखने की जरूरत है। न्यायालय ने केंद्र से प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिये उपाय सुझाने और यह बताने को कहा था कि पटाखे पर प्रतिबंध लगाने से व्यापक रूप से जनता पर क्या प्रस्ताव पड़ेगा।
वहीं पटाखा बनाने वालों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि दिवाली के दौरान केवल पटाखे प्रदूषण बढ़ाने की एकमात्र वजह नहीं है। यह प्रदूषण बढ़ाने वाला एक कारक है और इस आधार पर पूरे उद्योग को बंद नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों में श्वास की समस्याओं के बढ़ने को लेकर भी चिंता जताई थी और कहा था कि वह इस पर निर्णय करेगी कि क्या पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा या मुनासिब नियंत्रण स्थापित किया जाएगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने का फैसला किया था। कोर्ट के इस फैसले का एक ओर लोगों ने स्वागत किया था वहीं कुछ लोगों ने इसे परंपरा और आस्था से जोड़ते हुए कोर्ट के इस फैसले से विरोध भी जताया था।
आम लोगों से ज्यादा पटाखा बिक्री बैन का सबसे ज्यादा असर व्यापारियों पर पड़ा था जिन्होंने त्योहार से महीने भर पहले पटाखे खरीद लिए थे लेकिन पटाखों पर लगी रोक के बाद उन्हें लाखों रूपये का नुकसान उठाना पड़ा था।