नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर की विभिन्न अदालतों में सांसदों और राजनेताओं के खिलाफ लंबित पड़े मामलों का विवरण मुहैया कराने में विफल रहने पर गुरुवार को केंद्र को लताड़ लगाई। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की एक पीठ ने कहा कि भारत सरकार तैयार नहीं है क्योंकि वह अदालत द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं दे पाए।
पीठ ने कहा कि सरकार हमें कुछ आदेश पास करने के लिए बाध्य कर रही है, जो कि हम इस वक्त नहीं चाहते। भारत संघ तैयार नहीं है। हम अपना दुख व्यक्त करते हैं। पीठ ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध कर दी।सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में प्रत्येक फास्ट ट्रैक अदालत में लंबित पड़े मामलों की संख्या से संबंधित विशिष्ट विवरण मौजूद नहीं है।
कानून एवं न्याय मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने हलफनामे में कहा, "यह विभाग नियमित रूप से संबंधित अदालतों में स्थानांतरित/निपटारे/लंबित मामलों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ मामला उठा रहा है। हलफनामे में केवल संपर्क की सारिणी मौजूद है जबकि इसमें सांसदों व राजनेताओं के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या गायब है।
अदालत वकील और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में दोषी सांसदों पर आजीवन प्रतिबंध और आपराधिक मामलों के आरोपी सांसदों के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने की मांग की गई है।
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