राफेल मामले में दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 10 अक्टूबर तक टली
सुप्रीम कोर्ट ने आज राफेल मामले में सुनवाई 10 अक्टूबर तक टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट में वकील और इस मामले के याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने पहले कोर्ट से सुनवाई टालने के लिए अनुरोध किया था कि वो स्वस्थ नहीं है लेकिन आज सुनवाई के समय वो पहुंच गए।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज राफेल मामले में सुनवाई 10 अक्टूबर तक टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट में वकील और इस मामले के याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने पहले कोर्ट से सुनवाई टालने के लिए अनुरोध किया था कि वो स्वस्थ नहीं है लेकिन आज सुनवाई के समय वो पहुंच गए। कोर्ट ने कहा कि जब आपने सुनवाई टालने की मांग की थी तब आज सुनवाई कैसे हो सकती है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 10 अक्टूबर के लिए टाल दी।
बता दें कि इस याचिका में राफेल को लेकर भारत और फ्रांस के बीच हुए समझौते को खारिज करने और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है। याचिका में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पक्षकार बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट याचिका के इस स्वरूप पर आपत्ति जता सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर राफेल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। इससे पहले कांग्रेस ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा था कि पार्टी नहीं समझती है कि ये मसला उठाने के लिए सुप्रीम कोर्ट उचित फोरम है और पार्टी का न तो तहसीन पूनावाला से कोई संबंध और न ही उनकी याचिका से। कांग्रेस ने कहा था कि मीडिया में ऐसी भ्रम की स्थिति रहती है कि तहसीन पूनावाला कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ऐसे में हम साफ करना चाहते हैं कि राफेल डील के खिलाफ तहसीन पूनावाला की याचिका और उनसे पार्टी का कोई संबंध नहीं है।
बता दें कि लंबे समय से कांग्रेस राफेल डील को लेकर मोदी सरकार से जवाब मांग रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके नेता मोदी सरकार पर कई बार राफेल डील में घोटाले का आरोप लगाते रहे हैं। वहीं पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार ने जिस कंपनी को ये दील सौपी है इसके पास ना ही प्लेन बनाने का अनुभव है और ना ही लड़ाकू एयरक्राफ्ट का।
कांग्रेस का ये भी दावा है कि फ्रांस ने बिल्कुल ऐसे ही एयरक्राफ्ट मिस्र और कतर को कम दाम में बेचे हैं, तो फिर भारत के समय पर दाम अधिक कैसे हो गए। उन्होंने कहा कि नवंबर, 2016 में रक्षामंत्री ने एयरक्राफ्ट के दाम बताए थे तो फिर अब क्यों नहीं इसके बारे में बताया जा रहा है।
वहीं राफेल डील के जानकारों का कहना है कि हकीकत में मोदी सरकार ने राफेल फाइटर जेट का सौदा सस्ते में किया है। सूत्रों के मुताबिक यूपीए सरकार के दौरान राफेल फाइटर जेट की प्रस्तावित कीमत की तुलना में मोदी सरकार ने सस्ती डील की है। दावा है कि मोदी सरकार ने हर राफेल प्लेन पर 59 करोड़ रूपये की बचत की है।
यूपीए के समय प्रस्तावित दर के हिसाब से जेट में लगनेवाले हथियार और उनके मेंटेनेस, सिमुलेटर्स, रिपेयर सपोर्ट और टैक्नीकल सपोर्ट को शामिल करने के बाद एक फाइटर जेट की कीमत लगभग 1,705 करोड़ रुपए आती लेकिन मोदी सरकार में इन्हीं सब एक्यूपमेंट्स और टेक्नोलॉजी के साथ एक राफेल फाइटर जेट का सौदा 1646 करोड़ रुपए में किया है और फ्रांस के साथ 36 राफेल प्लेन की डील 59 हजार 256 करोड़ रुपए में की।
सरकारी अफसरों का दावा है जिस विमान की डील मोदी सरकार ने की है वो यूपीए सरकार के समय खरीदे जा रहे विमान से ज्यादा असरदार और तकनीकि रुप से ज्यादा बेहतर है क्योंकि अब जिस फाइटर जेट की डील हुई है उसमें METEOR और SCALP जैसी मिसाइलें भी हैं जो यूपीए की डील के तहत लिए जा रहे फाइटर विमान में नहीं थीं।
मोदी सरकार ने जिस विमान की डील की है, उसमें भारत के लिए खास तौर से 13 चीजें बढ़ाई गई हैं, जो दूसरे देशों को नहीं दी जाती हैं और इसलिए इसकी कीमत की तुलना दूसरे देशों से नहीं की जा सकती।