सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, ओडिशा और जम्मू कश्मीर पर अपने राज्यों की मिड-डे मील योजना का ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराने पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने इसके अलावा दिल्ली सरकार पर मिड-डे मील की जानकारी मुहैया नहीं कराने को लेकर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
अदालत ने कहा कि जुर्माने की रकम को सर्वोच्च न्यायालय के कानूनी सेवा समिति के पास चार हफ्तों के अंदर जमा कराई जाए, जो किशोरों के न्याय के मुद्दे पर खर्च की जाएगी। यह आदेश अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार निगरानी परिषद द्वारा दाखिल पीआईएल (जनहित याचिका) पर दिया गया है, जिसमें अदालत का ध्यान इस योजना के कार्यान्वयन में गड़बड़ियों की तरफ खींचा गया था।
अदालत ने कहा कि मिड-डे मील बच्चों के लिए काफी लाभदायक था। अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम राज्यों की सहायता करने और सभी डेटा को अपलोड करने की कोशिश कर रहे थे, ताकि सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें। लेकिन हमारे कई आदेशों के बावजूद कुछ राज्यों की तरफ से बहुत कम या कोई सहयोग नहीं दिया जा रहा है।" अदालत ने कहा कि कुछ राज्यों ने इस योजना को गंभीरता से नहीं लिया है। अदालत ने कहा, "आकड़े मुहैया नहीं कराए गए और याचिककर्ता ने आरोप लगाए हैं कि स्कूलों तक भोजन नहीं पहुंचाया जा रहा है।"
अदालत ने जुर्माना लगाते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और ओडिशा ने कहा कि वे मिड-डे मिल की जरूरतों ताओं को पालन करेंगे और याचिकाकर्ता की संतुष्टि के लिए योजना के क्रियान्वयन का लिंक मुहैया कराएंगे। हालांकि अदालत ने कहा, "लेकिन एक महीने से ज्यादा बीतने के बावजूद इन राज्यों की तरफ से अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है।"
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