नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोयंबटूर में 2010 में हुए बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी की वह पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने मृत्युदंड बरकरार रखने के उसके आदेश की समीक्षा किए जाने का अनुरोध किया था। दोषी मनोहरन को 2010 में कोयंबटूर में एक नाबालिग लड़की का सामूहिक बलात्कार और बाद में उसकी तथा उसके भाई की हत्या करने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी।
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने एक के मुकाबले दो के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषी मनोहरन की मौत की सजा को बरकरार रखने वाले फैसले की समीक्षा करने का कोई आधार नहीं है।
न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी जबकि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि केवल सजा के बिंदु पर उनका विचार अलग है। पीठ ने कहा, ‘‘बहुमत के फैसले के मद्देनजर पुनरीक्षण याचिका पूरी तरह खारिज की जाती है।’’
सुनवाई के दौरान दोषी के वकील ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में सात वकील बदले जा चुके है, जिसकी वजह से निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दोषी अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रख पाया है।
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