नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति मांग रही याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि हर जगह स्थानीय प्रशासन स्थिति के हिसाब से निर्णय लेता है। पूरे देश पर लागू होने वाला कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। इसके साथ हीं शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर जुलूस निकालने की इजाजत देंगे तो अराजकता फैलेगी।
शिया धर्मगुरू मौलान कल्बे जव्वाब ने पूरे देश में मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग वाली याचिका दायर की थी। मौलान कल्बे जव्वाब की तरफ से पेश वकील ने कहा कि पूरा एहतियात बरतते हुए जुलूस निकालने की अनुमति दी जानी चाहिए। जिस तरह पूरी में रथ यात्रा की अनुमति दी गई। पर्यूषण पर्व के दौरान जैन समुदाय को मंदिर में जाने की अनुमति दी गई। वैसा ही इस मामले में भी किया जाना चाहिए।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर हम जुलूस निकालने की इजाजत देंगे तो इससे आराजकता फैलेगी और फिर एक समुदाय विशेष को कोरोना फैलाने के नाम पर निशाना बनाया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट नहीं चाहेगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह ऐसा कोई आदेश नहीं देगा जिससे लोगों के स्वास्थ्य को खतरा हो। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पीठ ने कहा कि मुहर्रम जुलूस के लिए कोई स्पष्ट स्थान नहीं होता है, जहां प्रतिबंध या सावधानी बरती जा सके।
याचिकाकर्ता के वकील ने जगन्नाथपुरी यात्रा की दलील दी तो अदालत ने कहा कि आप पूरे देश के लिए इजाजत मांग रहे हैं। जगन्नाथपुरी यात्रा एक खास जगह पर होती है, जहां रथ एक जगह से दूसरी जगह जाता है। अगर किसी एक जगह की बात होती तो हम खतरे का आकलन कर आदेश दे सकते थे।
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