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Hindi News भारत राष्ट्रीय विधवा महिला की लापता बेटी की तलाश में मदद के लिए आगे आया सुप्रीम कोर्ट, जानें पूरा मामला

विधवा महिला की लापता बेटी की तलाश में मदद के लिए आगे आया सुप्रीम कोर्ट, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट MBBS की तैयारी कर रही 20 वर्षीय बेटी की तलाश में दर-दर भटक रही हरियाणा निवासी एक विधवा की मदद के लिए आगे आया है...

Supreme Court comes to aid of widow from Haryana searching for missing daughter | PTI Photo- India TV Hindi Supreme Court comes to aid of widow from Haryana searching for missing daughter | PTI Photo

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट MBBS की तैयारी कर रही 20 वर्षीय बेटी की तलाश में दर-दर भटक रही हरियाणा निवासी एक विधवा की मदद के लिए आगे आया है। जुलाई 2016 में राजस्थान के कोटा के एक कोचिंग सेन्टर से लड़की को कथित तौर पर अगवा कर लिया गया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर एवं जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की एक खंडपीठ ने गृह मंत्रालय और हरियाणा एवं राजस्थान पुलिस से महिला की याचिका पर जवाव और स्थिति रिपोर्ट मांगी है। महिला का कहना है कि उसने राजस्थान की एक निचली अदालत, हाई कोर्ट और दोनों राज्यों की पुलिस को कोई सफलता नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

ओमी हुड्डा ने वकील प्रदीप गुप्ता के जरिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की और गृह मंत्रालय, CBI, हरियाणा और राजस्थान पुलिस से 16 जुलाई 2016 की शाम से लापता अपनी बेटी को खोज कर लाने का निर्देश देने का आग्रह किया है। किसी अनहोनी की आशंका के चलते महिला ने वैकल्पिक मांग की है कि अगर उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है तब उसका शव खोजा जाए और अंतिम संस्कार के लिए उसे सौंपा जाए। महिला ने पक्षकार के रूप में हरियाणा के रोहतक के निवासी हिमांशु और उसके माता-पिता रितेश बिरला एवं बाला का नाम लिया है और उन पर अपनी बेटी को अगवा करने का आरोप लगाया है। उसने कहा है कि कोटा और रोहतक में अपहरण की क्रमश: एक-एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई लेकिन अब तक कोई ठोस जांच नहीं की गई।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राजस्थान हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर किए जाने पर अदालत ने अपनी समस्या लेकर महिला को निचली अदालत जाने को कहा था। याचिकाकर्ता ने कहा कि एक निचली अदालत में अभी तक मामला लंबित होने के बावजूद कोई प्रभावी जांच नहीं हुई है। इस संबंध में हरियाणा और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री से भी अनुरोध किया गया है। जीवन के मौलिक अधिकार लागू करने की मांग करते हुए महिला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट आने के अलावा उसके पास कोई और विकल्प नहीं था।

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