नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को 11 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से वहां के सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा दो सप्ताह के भीतर देने को कहा। शीर्ष अदालत ने बताया कि इन मामलों की सुनवाई के लिए केंद्र से विशेष अदालतों के गठन करने का धन मुहैया करवाने को कहा गया है।
पिछली सुनवाई में अदालत ने 19 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों से इस बाबत की जानकारी मांगी थी। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ ने मामले में
वरिष्ठ वकील विजय हंसारी को अमीकस क्यूरे (न्यायमित्र) नियुक्त किया। अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता ए. आर. नादकर्णी को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सूचना संकलित करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
हंसारी शीर्ष अदालत को बताएंगे कि इन मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरी करने के लिए कितनी विशेष अदालतों की जरूरत होंगी। सर्वोच्च न्यायालय ने 10 मार्च 2014 को इन मुकदमों की सुनवाई एक साल के भीतर करने का आदेश दिया था।
जिन राज्यों से दो सप्ताह के भीतर जानकारी मांगी गई है उनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, गोवा, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ और लक्ष्यद्वीप शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने अपने 12 सितंबर के आदेश में 19 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों उच्च न्यायालयों के महापंजीयकों (आरजी) को लंबित मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया था।
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