नैनीताल (उत्तराखंड): उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को महत्वाकांक्षी ऑल वेदर रोड परियोजना के निर्माण के लिए उसके द्वारा ली गई पर्यावरण मंजूरियों को दस दिन के अंदर पेश करने को कहा है।
ऑल वेदर रोड परियोजना की प्रगति पर असर
उच्च न्यायालय के ये निर्देश केंद्रीय सडक परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दायर उस अर्जी पर आए हैं जिसमें उसने न्यायालय से उसके द्वारा पूर्व में दिेए गए आदेश में जारी मैन्डेटरी डायरेक्शन पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था, जिसमें राज्य की नदियों के पांच सौ मीटर दूर मलबा फेंकने के स्थानों का चयन किए बिना सडक निर्माण और पनबिजली परियोजनाओं को रोकने को कहा था। अर्जी में यह दलील दी गई थी कि मैंडेटरी डायरेक्शन से अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा सीधे तौर पर निगरानी की जा रही ऑल वेदर रोड परियोजना की प्रगति पर असर पड रहा है।
मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने राज्य की ग्रामीण सडकों की दयनीय दशा पर गंभीर चिंता जताई। पहाडी क्षेत्र में एक गर्भवती महिला को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए थकानभरी यात्रा करने की मजबूरी से संबंधित समाचार पत्र में छपी एक खबर का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ' सभी सडकें महत्वपूर्ण हैं। यहां तक कि वह सडक भी महत्वपूर्ण है जिस पर एक गर्भवती महिला को तीन दिन तक पालकी पर यात्रा करनी पडी।' बहरहाल, मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख निर्धारित की गई है।
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