दुर्घटना नहीं, नेताजी की हत्या हुई थी: पूर्व अंगरक्षक
गुड़गांव: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक पूर्व अंगरक्षक ने दावा किया कि इस क्रांतिकारी नेता की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, बल्कि उनकी हत्या की गई थी। इंडियन नेशनल आर्मी के सिपाही
गुड़गांव: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक पूर्व अंगरक्षक ने दावा किया कि इस क्रांतिकारी नेता की मौत विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी, बल्कि उनकी हत्या की गई थी। इंडियन नेशनल आर्मी के सिपाही जगराम यादव (93) ने कहा कि एक गनर के रूप में मैने नेताजी और शीर्ष अधिकारियों को स्वतंत्रता संग्राम के मुद्दे पर चर्चा करते अक्सर सुना था। ऐसा माना जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बोस से चिढ़ थी।
यादव ने कहा कि हम 1945 में उस समय चटगांव जेल में थे, जब खबर आई कि विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत हो गई। हम में से किसी ने भी खबर पर विश्वास नहीं किया, क्योंकि नेताजी ने हमसे कहा था कि आईएनए के लड़ाकों को भ्रमित करने के लिए उनके निधन की खबर फैलाई जा सकती है।
यादव ने कहा कि बोस वास्तव में रूस साइबेरिया भाग गए थे और भारत की सबसे बड़ी साजिश के शिकार हो गए। बोस के बारे में प्रचारित किया गया था कि 1945 में ताईवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी। यादव ने कहा कि नेहरू समझते थे कि बोस की छवि भारत और विदेशों में उनसे अधिक बड़ी और मजबूत है।
आईएनए के बुजुर्ग सिपाही ने कहा कि 1949 में चीन की आजादी के बाद एक चीनी दूत चीन स्थित भारतीय दूतावास पहुंचा था और उसने बताया था कि नेताजी रूस में हैं और वह भारत लौटना चाहते हैं। यादव 1943-44 के दौरान लगभग 13 महीने तक नेताजी के अंगरक्षक थे।
यादव ने कहा कि सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर ठक्कर दूत से मिले थे, क्योंकि तत्कालीन राजदूत के.एम. पनिकर वहां मौजूद नहीं थे। नेताजी के बारे में खबर सुनकर उत्साहित व खुश ठक्कर ने तत्काल नेहरू को इस बारे में सूचित किया। नेहरू ने ठक्कर को अगली ही उड़ान से भारत लौटने के लिए कहा और कहा कि वह पद के उपयुक्त नहीं थे। यादव ने कहा कि वह अपने अनुभव और वास्ताविकता के आधार पर यह सच्चाई बयान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि न सिर्फ मैं बल्कि मेरी पीढ़ी के कई लोग महसूस करते हैं कि बोस की हत्या की गई थी।
गोपनीय दस्तावेजों से बोस के परिवार की 1948 से 1968 तक हुई जासूसी की जानकारी पिछले सप्ताह सुर्खियों में आने के बाद यादव ने कहा कि वह इस मुद्दे पर कुछ नहीं कह सकते, लेकिन वह इस बात को लेकर सुनिश्चित हैं कि नेताजी की हत्या की गई थी।
यादव को ब्रिटिश सरकार ने 22 फरवरी, 1946 को बर्खास्त कर दिया था। उन्हें विद्रोही करार दिया गया था, क्योंकि वह आईएनए के एक सिपाही थे। उन्हें सेना में लगभग 5.6 साल तक काम करने के लिए और द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना के लिए लड़ने के एवज में मात्र 25 रुपये मिले थे।