नयी दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकारों को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को खारिज करने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं है क्योंकि इसे संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के तहत लाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को भी लागू करने से इनकार नहीं कर सकतीं जो अगले साल लाया जाना है। उनका बयान पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों की उस घोषणा के बाद आया जिसमें उन्होंने सीएए को ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया और कहा कि उनके राज्यों में इसके लिए कोई जगह नहीं है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘राज्यों को केंद्रीय कानून को खारिज करने की शक्ति प्राप्त नहीं है जो संघ सूची में शामिल है।’’ संविधानी की सातवीं अनुसूची की संघ सूची में रक्षा, विदेश मामले, रेलवे, नागरिकता, किसी विदेशी को देश की नागरिकता देना जैसी 97 चीजें शामिल हैं। अगले साल जनगणना के साथ लाए जाने वाले एनपीआर के संदर्भ में अधिकारी ने कहा कि कोई भी राज्य इस कवायद से इनकार नहीं कर सकता क्योंकि यह नागरिकता कानून के अनुरूप किया जाएगा। एनपीआर देश के आम निवासियों का रजिस्टर है।
इसे नागरिकता अधनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का रजिस्ट्रीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान पत्रों का जारी किया जाना) नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (गांव/उपनगर), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्टूीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है। भारत के प्रत्येक आम निवासी के लिए एनपीआर के तहत पंजीकृत होना जरूरी है। एनपीआर के उद्देश्यों के लिए आम निवासी की परिभाषा एक ऐसे व्यक्ति के रूप में की गई है जो किसी स्थानीय क्षेत्र में विगत छह महीने तक या अधिक समय तक रहा हो या जो उस क्षेत्र में अगले छह महीने या अधिक समय तक रहने का इरादा रखता हो।
Latest India News