नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने हेतु बहुत से कमद उठा रही हैं और अब नवोन्मेषी सोच के साथ शुरू किए जाने वाले स्टार्टअप उद्यमों का प्रसार केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है। प्रधानमंत्री ने आज देशभर के युवा उद्यमियों के साथ संवाद के दौरान कहा कि छोटे शहर और गांव भी स्टार्टअप केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। इस चर्चा में देहरादूर, रायपुर और गुवाहाटी जैसे शहरों के युवा उद्यमियों ने भी भाग लिया। मोदी ने कहा कि स्टार्टअप के लिए 'मेक इन इंडिया' के साथ 'डिजाइन इन इंडिया' भी बहुत आवश्यक है। इस क्षेत्र में आगे निकलने के लिए पर्याप्त पूंजी, साहस और लोगों से संपर्क जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब स्टार्टअप केवल डिजीटल और तकनीकी नवोन्मेष के क्षेत्र तक सीमित था। अब चीजें बदल रही हैं और हम देख रहे हैं कि कृषि समेत अन्य क्षेत्रों में स्टार्टअप आ रहे हैं। हमने कृषि ग्रैंड चैलेंज शुरू किया है। कृषि क्षेत्र में कैसे बदलाव लाया जा सकता है इस पर विचार के लिए हम और युवाओं को आमंत्रित कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि देश में नए उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्टार्टअप इंडिया की कार्य योजना पेश की थी। इस योजना का उद्देश्य कर रियायत, इंस्पेक्टर राज मुक्त शासन और पूंजीगत लाभ कर छूट जैसे प्रोत्साहन देना है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारी स्टार्टअप कंपनियां वृद्धि का इंजन है। आज की बड़ी कंपनियां भी एक समय पर स्टार्टअप ही थीं। मैं भारत के लोगों से नवाचार करते रहने का आग्रह करता हूं।" उन्होंने कहा कि भारत के युवा अब नौकरियां सृजित कर रहे हैं और सरकार इस जनसांख्यिकी लाभांश का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। जनसांख्यिकी लाभांश से तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है जब कुल आबादी में काम करने की आयु वाली आबादी (युवा वर्ग) का अनुपात अधिक होता है।
स्टार्टअप के लिए पूंजी उपलब्धता से जुड़े सवाल पर मोदी ने कहा कि सरकार ने इसके वित्तपोषण के लिए 10,000 करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप कंपनियां अपने उत्पाद सरकार को बेच सकती है और इसके लिए सार्वजनिक खरीद नियमों को आसान बनाया गया है। भारत ने वैश्विक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में खुद से अलग पहचान बनाई है।
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