नई दिल्ली: तीन दशकों से बम और गोलियों की आवाज़ से गूंजने वाला कश्मीर अब विकास की नज़ीर बनता जा रहा है। कश्मीर में विकास के काम तो सरकार करवा ही रही है लेकिन यहां के लोगों ने जिस तरह से उसमें हिस्सा लेना शुरू किया है वो अपने आप में अनोखी मिसाल बन गया है। झेलम नदी पर लंबे समय से बहुप्रतीक्षित पुल के काम को पूरा करने के लिए यहां मुस्लिम समुदाय ने 40 साल पुरानी एक मस्जिद को गिराए जाने पर सहमति व्यक्त की।
श्रीनगर के कमरवारी इलाके में झेलम नदी पर एक पुल का काम साल 2002 से अटका था। पुल के रास्ते में मस्ज़िद और दूसरी कमर्शियल प्रॉपर्टी आ रही थी। जब भी इसे हटाने की बात आई मस्ज़िद के नाम पर बात अटक गई। लोकल एडमिनिस्ट्रेशन और मस्ज़िद कमेटी के बीच कई बार बात हुई लेकिन हर बार अटक जाती थी लेकिन अब फिज़ा बदल गई है।
अधिकारियों ने बताया कि कमरवारी के रामपुरा क्षेत्र में श्रीनगर जिला विकास आयुक्त शाहिद इकबाल चौधरी और मस्जिद अबू तुराब की प्रबंध समिति के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर के 24 घंटे बाद शनिवार को मस्जिद गिराने का काम शुरू हुआ।
दूसरी जगह मस्ज़िद बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन मस्ज़िद कमेटी को सवा करोड़ रुपये देगा। नई मस्जिद का काम भी शुरू हो गया है। उसका पहला फ्लोर बन चुका है। दूसरी तरफ अधूरा पुल भी अब तेज़ी से बन रहा है।
जम्मू कश्मीर में इससे पहले श्रीनगर बारामुला नेशनल हाईवे का काम आगे बढाने के लिए सिख समुदाय 72 साल पुराने गुरुद्वारा दमदमा साहिब को हटाने पर राज़ी हो चुका है। अकेले श्रीनगर में ऐसे साठ प्रोजेक्ट हैं जो किसी न किसी बात पर अटके थे लेकिन अब नई बयार ने विकास के नए रास्ते खोल दिए हैं।
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