नई दिल्ली: आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्रीश्री रविशंकर ने राम मंदिर मुद्दे को अदालत से बाहर बातचीत के जरिए सुलझाने की बड़ी पहल की है। श्रीश्री रविशंकर ने 6 अक्टूबर को बेंगलुरु में निर्मोही अखाड़े और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नुमाइंदों को बातचीत के लिए बुलाया था। श्रीश्री रविशंकर की दोनों पक्षों से काफी देर बात भी हुई। बातचीत के बाद श्रीश्री रविशंकर ने बताया कि निर्मोही अखाड़े और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर्स ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट की बात पर सकारात्मक रुख भी दिखाया।
इस मुलाकात के बाद श्रीश्री ने कहा कि, “कोर्ट का फैसला जो भी आए उसका सम्मान होगा लेकिन उससे पहले ये दोनों समुदायों के लिए एक मौका है। दोनों समुदाय के लोग साथ आएं और विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाएं। अगर ऐसा होता है तो मैं मध्यस्थता के लिए तैयार हूं लेकिन मैं ये किसी सरकार या किसी संगठन की तरफ से नहीं कर रहा। बहुत से मुस्लिम नेता मुझसे मुलाकात कर चुके हैं।“
वहीं भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का भी मानना है कि अगर कोई इस मामले को कोर्ट के बाहर सुलझा सकता है तो वो श्रीश्री रविशंकर ही हैं। हालांकि दूसरे पक्ष का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए क्योंकि मुसलमान मस्जिद ही चाहते हैं।
निर्वाणि अखाड़े के महंत और राम मंदिर विवाद में पक्षकार महंत धर्मदास ने श्रीश्री रविशंकर की पहल का स्वागत किया। महंत धर्मदास ने कहा कि अगर कोर्ट के बाहर मामला सुलझता तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। हालांकि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कंवीनर और AIMPLB के मेंबर जफरजाब जिलानी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए क्योंकि मुसलमान मस्जिद के फेवर में है मंदिर के नहीं।
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