A
Hindi News भारत राष्ट्रीय ‘बेगम जान’ की जमीन की कहानी जहां जिस्मफ़रोशी के लिए टके में बिकती है बच्चियां...

‘बेगम जान’ की जमीन की कहानी जहां जिस्मफ़रोशी के लिए टके में बिकती है बच्चियां...

फिल्म बेगम जान में विद्या बालन एक वेश्यालय की मुखिया का किरदार निभा रही हैं। इस फिल्म में वो जिस कोठे के लिए संघर्ष करती नजर आ रही हैं, वह जमीन के उसी टुकड़े की याद दिलाता है जिस पर आज भी देह-व्यापार के लिये लाखों लड़कियां बेची और ख़रीदी जाती हैं।

 Sonagachi

चिड़ियाघर में पिंजरे में कैद जानवरों की हालत से भी बदतर हालत होती है सोनागाछी में इन छोटे छोटे दडबे जैसे पिंजरों में कैद लड़कियों की बक़ायदा नुमायश होती है ताकि सडक पर आते जाते लोग उनकी अदाओं के जाल में फंस जाए। अपने अपने कोठे या कमरे के बाहर खडी होकर ये बदनसीब औरतें और लड़कियां अपने जिस्म नोचने वालों को रिझाती नज़र आती है।

कहने को तो वेश्यावृत्ति का व्यापार बहुत बड़ा है पर अधिकतर पैसा वेश्याओं को नहीं उनके मालिकों, दलालों की जेबों में जाता है। वेश्याओं को तो बस मिलता है कुछ पैसा और ढेर सारा अपमान और परेशानियाँ। सडक पर बिकने वाले मुर्गे और बकरों की तरह सोनागाछी में इंसानों का बाज़ार लगता है।  

इस स्लम में किसी बाहरी व्यक्ति का आना मना है। यहां तक की पत्रकारों और फोटोग्राफरों को भी ये लोग भीतर नहीं आने देते जहां की ज्यादातर बच्चियां स्कूल छोड़कर आई हैं और अब देह बेचने का पाठ पढ़ रही हैं। आप सोच रहे होंगे कि इसमें नया क्‍या है, पर सवाल तो यही है जो बुराई, कुरीति सदि‍यों से चली आ रही है वो आज भी बनी हुई है। उसमें कोई नयापन नहीं आया है, न तो हमारी सोच में और न ही समाज के नि‍यमों में, जहां आज भी दो पैसे कमाने के लि‍ए एक औरत को अपना सबकुछ गंवाना पड़ता है।

अगले स्लाइड्स में देखें सोनागाछी के दर्द की झलक इन तस्वीरों में-

Latest India News