देश के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की आलोचना पर गर्व करते हैं कुछ राजनीतिक दल: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का विषय ज्यादातर राजनीतिक दलों की प्राथमिकता से दूर रहा है, यह उनके घोषणा पत्र में भी नजर नहीं आता, अब तो यह स्थिति आ गई है कि कुछ राजनीतिक दल देश के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर आलोचना करने में गर्व करते हैं।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गतिशक्ति योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे, मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी से 21वीं सदी में भारत को बढ़ावा मिलेगा। पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व में देरी और विकास कार्यों में सुस्ती के कारण करदाताओं के पैसे का सही इस्तेमाल नहीं किया गया। विभाग अलग-अलग काम करते थे, परियोजनाओं को लेकर कोई समन्वय नहीं था। उन्होंने कहा कि गतिशक्ति सड़क से लेकर रेलवे, उड्डयन से लेकर कृषि तक परियोजनाओं के समन्वित विकास के लिए विभिन्न विभागों को आपस में जोड़ता है। प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान समग्र शासन का विस्तार है।
पीएम ने बताया- क्यों पड़ी गतिशक्ति की जरूरत
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का सामान्य नागरिक जब एक छोटा सा भी घर बनाता है तो उसके लिए प्लानिंग करता है, कोई युनिवर्सिटी या कॉलेज बनाता है तो भी पूरी प्लानिंग के साथ बनाया जाता है, समय समय पर विस्तार की गुंजाइस को भी पहले से सोच लिया जाता है। दुर्भाग्य से हम भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट में प्लानिंग से जुड़ी अनेक कमियां रोज अनुभव करते हैं, हमने देखा है कि रेलवे अपनी प्लानिंग कर रही है, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट, टेलिकॉम डिपार्टमेंट की अपनी, गैस नेटवर्क की अलग प्लानिंग हो रही है। ऐसे ही तमाम डिपार्टमेंट अलग-अलग प्लान करते हैं, पहले कहीं सड़क बनती है और जब तैयार हो जाती है, फिर पानी वाला आकर उसकी खुदाई कर देता है, इसी तरह काम होता रहता है। ये भी होता है कि सड़क बनाने वाले डिवाइडर बना देते हैं और फिर ट्रैफिक पुलिस कहती है कि इससे जाम लगा रहेगा, कहीं चौराहे पर सर्किल बना दिया जाता है तो ट्रैफिक में अव्यवस्था होने लगती है।
'संशाधनों का भरपूर इस्तेमाल होगा'
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन परिस्थितियों के बीच जब सारे प्रोजेक्ट को सिंक करने की जरूरत होती है तो उसके लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है और बिगड़ी बात को ठीक करने में परेशानी होती है, इन सभी दिक्कतों का मूल कारण मैक्रो प्लानिंग और माइक्रो इंप्लेमेंटिमेशन जमीन आसमान का अंतर होता है। अलग अलग विभागों को पता ही नहीं होता कि कौन का विभाग कौन सा प्रोजेक्ट कहां शुरू करने की प्लानिंग कर रहा है। राज्यों के पास भी इस तरह की जानकारी एडवांस में नहीं होती, इस तरह की घटनाओं से निर्णय प्रक्रिया भी प्रभावित होती है और बजट की भी बर्बादी होती है, शक्ति जुड़ने के बजाए विभाजित हो जाती है। हमारे प्राइवेट प्लेयर्स को भी ठीक से पता नहीं होता कि भविष्य में किसी जगह से सड़क बनने वाली है या नहर या पावर स्टेशन लगने वाला है। इस वजह से वो भी किसी सेक्टर को लेकर बेहतर प्लान नहीं कर पाते, इन सारी दिक्कतों का हल पीएम गतिशक्ति प्लान से ही निकलेगा। जब हम मास्टर प्लान को आधार बनाकर चलेंगे तो हमारे संशाधनों का भी भरपूर इस्तेमाल होगा।
विपक्ष पर साधा निशाना
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का विषय ज्यादातर राजनीतिक दलों की प्राथमिकता से दूर रहा है, यह उनके घोषणा पत्र में भी नजर नहीं आता, अब तो यह स्थिति आ गई है कि कुछ राजनीतिक दल देश के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर आलोचना करने में गर्व करते हैं, जबकि दुनिया में यह स्वीकृत बात है कि विकास के लिए क्वॉलिटी इफ्रा का निर्माण एक ऐसा रास्ता है जो अनेक आर्थिक गतिविधियों को जन्म देता है और बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करता है। जैसे स्किल मैनपावर के बिना हम किसी क्षेत्र में आवश्यक परिणाम नहीं प्राप्त कर सकते वैसे ही बेहतर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना हम चौरतफा विकास नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के साथ देश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवल्पमेंट को सबसे ज्यादा नुकसान सरकारी विभागों के बीच आपसी तालमेल की कमी और खींचतान से होता है। राज्यों में भी हमने राज्य सरकारों और स्थानीय निकायकों के बीच इस विषय पर तनाव होते देखा है। इस वजह से जो प्रोजेक्ट देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मददगार होने चाहिए थे वही देश के विकास के सामने एक दीवार बन जाते हैं। समय के साथ वर्षों से लटके हुए प्रोजेक्ट अपनी प्रासंगिकता और जरूरत भी खो देते हैं।