सोहराबुद्दीन और प्रजापति एनकाउंटर केस: सबूतों के अभाव में सभी 22 आरोपी बरी, सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला
गुजरात के चर्चित सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति कथित फेक एन्काउंटर मामले में आज मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत अपना फैसला सुना सकती है।
गुजरात के चर्चित सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति कथित फेक एन्काउंटर मामले में आज मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है।कोर्ट के अनुसार आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं, जिसके चलते इन्हें रिहा किया जा रहा है। कोर्ट ने माना कि सोहराबुद्दीन की हत्या गोली लगने से हुई। लेकिन यह सिद्ध नहीं हो सका कि ये गोली इन 22 आरोपियों ने चलाई। केस की सुनवाई नवम्बर 2017 में शुरू हुए थी। सीबीआई जज एस जे शर्मा ने पूरे मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
बता दें कि गुजरात के इस चर्चित एन्काउंटर के मामले में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह सहि कुल 38 आरोपी बनाये गए थे। शाह के अलावा इस मामले में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और गुजरात सरकार के मंत्री भी शामिल थे। लेकिन साल 2014 और 2017 के बीच 38 आरोपियों में से अमित शाह, डीजी बंजारा समेत कुल 16 लोगों को सबूतों की कमी के चलते को सीबीआई कोर्ट ने केस से बरी कर दिया था।
क्या है मामला
सोहराबुद्दीन शेख का कथित फेक एनकाउंटर 2005 में हुआ था उसके साथ उसकी पत्नी कौसर बी आज तक कही पता नही चला। वहीं 2006 इस केस का मुख्य गवाह तुलसीराम प्रजापति भी एक दूसरे कथित फेक एनकाउंटर में मारा गया था।
92 गवाह बयान से पलटे
पुरे मामले की जांच गुजरात CID द्वारा शुरू की गयी बाद में साल 2010 में इस केस की जांच का जिम्मा CBI को सौंपा गया था। विशेष सीबीआई कोर्ट में इस केस की सुनवाई के दौरान कुल 210 गवाहों के बयान लिए गए जिनमे से 92 गवाहों ने अपने सीबीआई को दिए गए बयान से पलट गए
2012 में गुजरात से मुंबई आया मामला
सीबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में की गयी दरख्वास्त के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2012 में यह केस मुंबई ट्रांसफर कर दिया था , जबकि साल 2013 में सोहराबुद्दीन , उसकी पत्नी कौसर बी और साथी तुलसीराम प्रजापति के मामलों को इकठ्ठा कर मुंबई की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू की गयी थी।