सोशल मीडिया अब होगा सेफ, सरकार ने बनाया यह नया कानून
यह कानून केवल सोशल मीडिया से फैलाए जा रहे आतंक और घृणा को रोकने के लिए होगा। सरकार का मानना है कि ठोस सबूतों की कमी के कारण, आतंकवादी दल और असमाजिक तत्व सोशल मीडिया को ही अपना प्लेटफॉर्म बनाते हैं।..
नई दिल्ली: कोई भी व्यक्ति चाहे वह उम्र में बढ़ा हो या बच्चा, आजकल सभी सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं। ऐसे में लोगों के बीच इसके बढ़ते क्रेज़ को देखते हुए इससे निकलने वाले खतरों का डर भी लगा ही रहता है। जिनमें सोशल मीडिया के नेटवर्क द्वारा आंतक और दंगे की भावना को बढ़ावा देना भी शामिल है, जिसके चलते मोदी सरकार ने इसके लिए एक महत्तवपूर्ण कदम उठाया है। सरकार ने सोशल मीडिया कि ताकत को समझते हुए और लगातार हो रहे इसके गलत इस्तेमाल को देखते हुए, इसके लिए कानुन सामने लाने की सोची है। (चीनी सैनिकों ने सिक्किम सेक्टर में की घुसपैठ, भारतीय सैनिकों के साथ हुई धक्कामुक्की)
यह कानून केवल सोशल मीडिया से फैलाए जा रहे आतंक और घृणा को रोकने के लिए होगा। सरकार का मानना है कि ठोस सबूतों की कमी के कारण, आतंकवादी दल और असमाजिक तत्व सोशल मीडिया को ही अपना प्लेटफॉर्म बनाते हैं। सुत्रों के मुताबिक मॉनसून के इस संसद सत्र में इससे जुड़े कानून पेश किए जा सकते हैं।
कानून बनाने का कारण
केंद्र की सरकार ने यह सोशल मीडिया कानून लाने की पहल इस कारण की है क्योंकि कहा जा रहा था कि कश्मीर से ले कर कन्याकुमारी तक आतंक को बढ़ावा देने में सोशल मीडिया के खिलाफ सबूत मिलें हैं। इतना ही नहीं कश्मीर में हुई पत्थरबाज़ी की घटना में गुमराह युवकों को भी वॉट्सऐप ग्रूप के माध्यम से ही एकत्र किया गया था।
इसी तरह आईएस ने भी देश में अपना आतंक फैलाने के लिए सोशल मीडिया का ही सहारा लिया था। हाल ही में पकड़े गए केरल के कुछ संदिग्घ आतंकियों ने माना था कि उन्हें सोशल मीडिया से ही गुमराह लड़को को जोड़ने का जिम्मा मिला था। (ईद के मौके पर CM योगी नहीं पहुंचे ईदगाह, अखिलेश ने उठाया सवाल)
साथ ही सभी गलत सुचना के प्रसारण के लिए भी उन्होनें फेसबुक और वॉट्स्ऐप जैसे माध्यमों का इस्तेमाल किया जिसके लिए बाद में सरकार को आगे आकर सफाई देनी पड़ी। 22 जून को आतंक के इस जाल पर काबू पाने के लिए, सोशल मीडिया और इंटरनल सिक्योरिटी के संबंध में इस कानून के स्वरूप को ले कर चर्चा हुई। इस मी़टिंग के ड्राफ्ट को तैयार कर होम मीनिस्ट्री, सोशल मीडिया के सभी प्रतिनिधियों से बात भी करेगी।
यह कानून होगा चुनौतीपूर्ण कार्य
सोशल मीडिया के इस कानून को लागू करने से पहले, सरकार इस पर आपसी बातचीत से राय बनाएगा। कुछ वक्त पहले इसी सोच के साथ यूपीए की सरकार ने आईटी एक्ट 66ए बनाया था। जिसका गलत उपयोग किया गया। ऐसे में इस कानून को ले कर सरकार लोगों से राय मांग सकती है। (100 अमरनाथ यात्री...बहुत बड़ी साजिश, टॉप सीक्रेट लेटर से हुआ खुलासा)