नई दिल्ली: दक्षिणी त्रिपुरा के बेलोनिया शहर में कॉलेज स्क्वायर पर लगी कम्युनिस्ट आइकन लेनिन की मूर्ती सोमवार दोपहर को गिरा दी गई। यह मूर्ती पिछले पांच साल से यहां खड़ी थी। मूर्ति गिराने की इस घटना की पूरे देशभर में निंदा हो रही है। वहीं सोशल मीडिया पर भी तरह-तरह के रिएक्शन आ रहे हैं...
रिचा सिंह के ट्विटर हैंडल पर लिखा गया है...’भारत के लोगों इस घटना के बाद जागेंगे..? क्या इस घटना के खिलाफ हमें सड़कों पर नहीं आना चाहिए? आज लेनिन हैं तो कल महात्मा…’
आकाश राजदान ने ट्वीट किया... जिन लोगों ने संसद से सावरकर के चित्र को हटा दिया.. सेलुलर जेल से सावरकर की यादों को हटा दिया.. सड़कों से अटल जी की तस्वीरें हटाने में लाखों खर्च किए अब लेनिन की मूर्ति पर बेहद सक्रिय दिख रहे हैं।
कुणाल सिंह ने ट्वीट किया.. लेनिन को गिरना चाहिए.. लेकिन इसे लेनिन के तरीके से ही गिराना उचित होता तब लेनिक की जीत होती.. नहीं?
देबर्षि मजूमदार ने ट्वीट किया.. 48 घंटे को अंदर त्रिपुरा के लोगों ने यह देख लिया है कि उन्होंने ठगों के समूह को चुन लिया है जिन्हें हिंसा और बर्बरता से प्यार है। यह बेहद दुखद है कि भारत में ऐसी पार्टी है जो देश के कानून की इजज्झत नहीं करती और अपने एजेंडा को पूरा करने आपराधिक तरीकों को अपनाती है।
कविता कृष्णनन ने ट्वीट किया.. ‘आप लेनिन की मूर्ति गिरा सकते हैं। लेकिन आप शहीदे आजम भगत सिंह और उनके कॉमरेड्स के दिलों से लेनिन को नहीं मिटा सकते। हमारे क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी लेनिन से प्रेरणा प्राप्त करते थे। RSS जो उन शहीदों का मजाक उड़ाता है, उनकी विरासत को नहीं मिटा सकता।‘
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