दिल्ली में झपटमारी की घटनाओं से जनता में खौफ, अपराधियों के सामने बेबस है पुलिस!
लोग हैरान हैं कि दिल्ली पुलिस इस स्थिति को असहाय की तरह चुपचाप देख रही है और ऐसे अपराधों में लिप्त लोगों से निपट नहीं पा रही है।
नई दिल्ली: दिल्ली में झपटमारी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिसमें कई बार हत्याएं भी हो रही हैं। हालांकि, लोग हैरान हैं कि दिल्ली पुलिस इस स्थिति को असहाय की तरह चुपचाप देख रही है और ऐसे अपराधों में लिप्त लोगों से निपट नहीं पा रही है। पुलिस अधिकारियों से यह सवाल पूछने पर वे आपको नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताते हैं कि पुलिस के उस तरीके से काम नहीं करने के मुख्य कारण हैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, कड़े कानून और अपराधी कानूनों में बचाव के तरीके मौजूद होने का दुरुपयोग करना। एक अधिकारी ने कहा, ‘पुलिस के हाथ कानून से बंधे हैं, अपराधियों के नहीं।’
‘तेज रफ्तार बाइक्स ने बढ़ाई समस्या’
एक सेवानिवृत्त संयुक्त पुलिस आयुक्त ने कहा कि अपराधियों के खतरनाक होने का मुख्य कारण हथियारों तक उनकी पहुंच आसान होना है। चाहे चीनी हो या स्थानीय बंदूकें, सभी तक अपराधियों की पहुंच है। तेज मोटरसाइकिलों की उपलब्धता ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है, क्योंकि पुलिस जिप्सी इनका पीछा करने में सक्षम नहीं हैं। जिप्सी केवल चौड़ी सड़कों पर ही चल सकती है, जिससे पुलिस को और अधिक तेजी से चलने वाली मोटरसाइकिल उपलब्ध कराने की आवश्यकता है, ताकि पुलिस अपराधियों का सामना तंग गलियों के अंदर भी कर सके और उन्हें पकड़ सके।
चोरी के तहत दर्ज होते हैं झपटमारी के मामले!
ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं कि पुलिस आमतौर पर झपटमारी के मामले को चोरी के प्रावधानों के तहत दर्ज करती है। यहां तक कि बंदूक की नोक पर किए गए झपटमारी को भी, जो कि जघन्य अपराध नहीं है और इसमें बहुत कम सजा होती है। यह पुलिसकर्मियों को ज्यादा मशक्कत से बचाती है, क्योंकि लूट और झपटमारी और चाकू या बंदूक जैसे हथियारों का उपयोग किए जाने के मामलों की ठीक से जांच करनी होगी। पुलिस के मुताबिक, झपटमारी में लिप्त पाए जाने वालों में 95 फीसदी ने पहली बार झपटमारी की थी। दिल्ली पुलिस ने हाल ही में 'स्ट्रीट क्राइम डेटा' तैयार किया है, जिसके अनुसार हाल के दिनों में राष्ट्रीय राजधानी में झपटमारी के मामलों में बड़ी कमी देखी गई है, जो वास्तविक स्थिति को नहीं दर्शाता है।
पुलिस का झपटमारी की घटनाओं में कमी का दावा
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एसीपी अनिल मित्तल ने कहा कि उपराज्यपाल के निर्देश पर उनके फोर्स द्वारा एक नई पहल शुरू की गई है, ताकि युवाओं को झपटमारी या 'ऐसे अन्य छोटे अपराधों' से दूर रखा जा सके। 'युवा' नामक इस पहल में युवाओं को साक्षर बनाने और तकनीकी शिक्षा देने के प्रावधान हैं, ताकि उन्हें रोजगारपरक बनाया जा सके, और उन्हें अपराध की दुनिया से दूर रखा जा सके। दिल्ली पुलिस के अनुसार, पिछले 2 वर्षों में राष्ट्रीय राजधानी में लूट और झपटमारी की घटनाओं में 29 प्रतिशत की कमी देखी गई है। 15 सितंबर 2017 तक, दिल्ली में झपटमारी के कुल 6,466 मामले दर्ज किए गए, जो 2018 में घटकर 4,707 और इस साल 15 सितंबर तक 4,566 हो गए।
वास्तविक स्थिति को झुठलाते हैं पुलिस के आंकड़े
वास्तविक स्थिति को झुठलाते ये आंकड़े दर्शाते हैं कि झपटमारी के मामले कानून के उपयुक्त प्रावधानों के तहत पंजीकृत नहीं हैं। प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि यदि पुलिसकर्मी को उचित प्रावधानों के तहत मामले दर्ज नहीं करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। दिल्ली पुलिस के आंकड़े यह भी दावा करते हैं कि झपटमारी की वारदातों में हथियारों का इस्तेमाल भी पिछले 3 सालों में कम हुआ है। इसके आंकड़ों के अनुसार, झपटमारी में जहां 2018 में 578 मामलों में हथियारों का इस्तेमाल हुआ, वहीं इस साल 15 सितंबर तक 559 वारदातों में हथियारों का इस्तेमाल हुआ।