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Hindi News भारत राष्ट्रीय कल्पना और सुनीता के बाद शिरिषा बांदला ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष यात्रा करने वाली तीसरी भारतीय महिला

कल्पना और सुनीता के बाद शिरिषा बांदला ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष यात्रा करने वाली तीसरी भारतीय महिला

शिरिषा से पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष का सफर कर चुकी हैं। शिरिषा अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गईं जब उन्होंने अमेरिका के न्यू मैक्सिको प्रांत से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन के साथ ‘वर्जिन गैलेक्टिक’ की अंतरिक्ष के लिए पहली पूर्ण चालक दल वाली सफल परीक्षण उड़ान भरी।

sirisha bandla- India TV Hindi Image Source : @USANDINDIA कल्पना और सुनीता के बाद शिरिषा बांदला ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष यात्रा करने वाली तीसरी भारतीय महिला

नई दिल्ली: एरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला रविवार को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गईं जब उन्होंने अमेरिका के न्यू मैक्सिको प्रांत से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन के साथ ‘वर्जिन गैलेक्टिक’ की अंतरिक्ष के लिए पहली पूर्ण चालक दल वाली सफल परीक्षण उड़ान भरी। बता दें कि शिरिषा से पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष का सफर कर चुकी हैं। 1 फरवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलंबिया जब पृथ्वी पर वापस आ रहा था तो वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में कल्पना चावला सहित सात अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई थी। वहीं, सुनीता विलियम्स के नाम महिला के रूप में सबसे अधिक 'स्पेस वॉक' करने का रिकॉर्ड है। वहीं, सबसे पहले भारतीय नागरिक तौर पर विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे।

शिरिषा बांदला ने उड़ान भरने से पहले ट्वीट किया था, 'यूनिटी 22 के शानदार चालक दल का सदस्य और कंपनी का हिस्सा बनाकर अभूतपूर्व तरीके से सम्मानित किया है जिसका मिशन अंतरिक्ष को सभी के लिए मुहैया कराना है।'

बता दें कि बांदला का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ है जबकि उनकी परवरिश ह्यूस्टन में हुई है। बांदला चार साल की उम्र में अमेरिका चली गईं और 2011 में पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। उन्होंने 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की डिग्री पूरी की।

वह यूएस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के लिए एक अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थीं। लेकिन, आंखों की कमजोर रोशनी के कारण वह ऐसा नहीं कर सकीं। जब वह पर्ड्यू विश्वविद्यालय में थीं, तो एक प्रोफेसर ने उन्हें वाणिज्यिक अंतरिक्ष उड़ानों के क्षेत्र में एक अवसर के बारे में बताया। इसके बाद वह इससे जुड़ीं।

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