सिंगापुर के रक्षामंत्री ने तेजस लड़ाकू विमान में भरी उड़ान, बताया 'शानदार'
सिंगापुर के रक्षामंत्री एनजी इंग हेन ने मंगलवार को भारत में बने लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरी और इसे 'बहुत अच्छा विमान' बताया...
कोलकाता: सिंगापुर के रक्षामंत्री एनजी इंग हेन ने मंगलवार को भारत में बने लड़ाकू विमान तेजस में उड़ान भरी और इसे 'बहुत अच्छा विमान' बताया। मंत्री के अपने एक ट्वीट में कहा, "भारत के खुद के डिजाइन व निर्माण किए गए तेजस विमान में उड़ान भरने का मौका मिला। यह बहुत अच्छा विमान है। "
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एनजी ने पश्चिम बंगाल के कलैकुंडा वायुसेना के अड्डे से विमान में उड़ान भरी थी। तकरीबन आधे घंटे तक की इस उड़ान के पायलट एयर वाइस मार्शल ए. पी. सिंह थे जोकि एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी में फ्लाइट टेस्टिंग के परियोजना निदेशक हैं।
दो तेजस विमान बेंगलुरु से कलैकुंडा पहुंचे थे, जहां भारतीय वायुसेना (आईएएफ) और रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर एयरफोर्स के बीच संयुक्त प्रशिक्षण चल रहा है। संगापुर एयरफोर्स की ओर से छह एफ-16सी/डीएस शामिल हैं जबकि आईएफ ने अपनी सुखोई फाइटर जेट उतारे हैं।
एनजी के कलैकुंडा आने पर वहां पूर्वी एयर कमांड के प्रमुख एयर मार्शल अनिल खोसला ने उनकी अगवानी की। वायुसेना के अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने तेजस को 'बेहतरीन वायुयान' बताया और कहा कि यह 'काफी कारगर' है। हालांकि उन्होंने इस बात की पुष्टि नहीं की कि सिंगापुर की ओर से लड़ाकू विमान खरीदने की दिलचस्पी जाहिर की गई है।
उन्होंने कहा कि वह पायलट नहीं हैं और यह देखना तकनीक की जानकारी रखने वालों का काम है। भारत का दौरा कर रहे एनजी बुधवार को दिल्ली पहुंचेंगे, जहां वह अपनी समकक्ष निर्मला सीतारमण के साथ वार्ता करेंगे।
सिंगापुर रक्षा मंत्रालय की ओर से एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि एनजी ने भारत सरकार का धन्यवाद किया है और कहा कि भारत ने आरएसएएफ को ऑपरेशन के लिए तत्पर बनाने में उचित व चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण ग्रहण करने का मौका दिया है। उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर की बीच 2004 से द्विपक्षीय वायुसेना का अभ्यास होता रहा है। पिछले साल यह अभ्यास काफी लंबा चला था।
इस साल जनवरी में भारत और सिंगापुर ने आईएएफ के साथ अगले पांच साल तक आरएसएफ के संयुक्त सैन्य प्रशिक्षिण के लिए करार का नवीनीकरण किया। दोनों देश की वायुसेना के बीच सबसे पहले 2007 में करार पर हस्ताक्षर हुए थे। 2012 में फिर करार का नवीनीकरण किया गया।