जबलपुर (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा कि जबलपुर केन्द्रीय जेल के जिस बैरक में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस स्वतंत्रता संग्राम के दौरान छह महीने रहे, उस स्थल को सेल्युलर जेल स्थित विनायक दामोदर सावरकर मेमोरियल की तर्ज विकसित किया जाएगा। सीएम चौहान ने स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर जबलपुर केन्द्रीय जेल परिसर में स्थापित नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
उन्होंने नेताजी की बैरक में पहुँचकर उनकी शयन-पटिट्का पर श्रृद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा, ‘‘अंडमान-निकोबार के प्रसिद्ध सेल्युलर जेल स्थित विनायक दामोदर सावरकर के मेमोरियल की तर्ज पर जबलपुर केन्द्रीय जेल में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस स्थल को प्रेरणा स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।’’ सीएम चौहान ने कहा कि जेल की जिस बैरक में नेताजी दो बार बंदी रहे, वह हमारे लिये तीर्थस्थल है। लोग यहाँ से देशभक्ति की प्रेरणा लें, इसलिये इसे प्रेरणा स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि लोग नेताजी की बैरक तक पहुँचकर दर्शन कर सकें, इसके लिये अलग से द्वार बनाया जाये, जो वर्तमान कैदियों के प्रवेश द्वार से पृथक हो। चौहान ने कहा, ‘‘नेताजी ने देश के लिये अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था। यहाँ उनके पराक्रम और बलिदान गाथा को प्रदर्शित करती चित्र कथा तैयार कर लगाई जाये, जिसमें नेताजी की बचपन से लेकर आजाद हिन्द फौज बनाने और उनकी अंतिम यात्रा के समूचे जीवन वृत्तांत का प्रदर्शन हो।’’
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों को यातना देने के अंग्रेजों के समय की हथकड़ी, फांसी के रिहर्सल का पुतला, बैलगाड़ी का चक्का, डंडाबेड़ी, चक्की के अलावा नेताजी के हस्तलिखित पत्र की प्रतिलिपि भी यहाँ सुरक्षित हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री चौहान ने ही 13 जून 2007 को आयोजित समारोह में केन्द्रीय जेल जबलपुर का नामकरण नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर किया था। केन्द्रीय जेल जबलपुर में सुभाष चन्द्र बोस पहली बार 22 दिसम्बर 1931 से 16 जुलाई 1932 तक तथा दूसरी बार 18 फरवरी 1933 से 22 फरवरी 1933 तक कैद रहे।
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