चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल ने शनिवार को भाजपा नीत एनडीए से अलग होने का बड़ा फैसला किया है। चंडीगढ़ में पार्टी मुख्यालय में अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। बीजेपी के साथ उनका लंबे समय से गठबंधन था जिसने पंजाब पर शासन किया था। हालांकि कृषि बिल के मुद्दे पर संबंधों में तनाव आ गया। शिरोमणि अकाली दल से हरसिमरत बादल ने हाल ही में कृषि बिल के मुद्दे पर केंद्र में मंत्री पद छोड़ दिया था। सुखबीर बादल अभी पंजाब में अकाली का नेतृत्व कर रहे है। आज हुई कोर कमेटी की बैठक की अध्यक्षता भी पार्टी प्रमुख सुखबीर बादल ने ही की।
इससे पहले हरसिमरत कौर बादल ने कृषि विधेयक को लेकर केंद्रीय मंत्रीपद से त्यागपत्र दे दिया था। क्योंकि संसद में कृषि विधेयक लाए जाने के फैसले बाद उन्हें पद पर रहना ‘‘शर्मनाक’’ लगा । पूर्व केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने दावा किया कि मसौदा कानून को जब उनके मंत्रालय के साथ साझा किया गया तो उन्होंने प्रतिकूल टिप्पणी की थी।
शिरोमणि अकाली दल की नेता ने कृषि विधेयक पर कहा था, ‘‘मैंने यह भी आग्रह किया था कि किसानों के साथ चर्चा पूरी होने तक विधेयकों को प्रवर समिति के पास भेजा दिया जाए। हालांकि, जब मुझे पता चला कि संसद में काला कानून पेश किया जा रहा है, तो मैंने त्यागपत्र देने का फैसला कर लिया।’’
पार्टी के एक बयान के मुताबिक, ‘‘मुझे अपने पद पर बने रहना शर्मनाक लगा, इसलिए तुरंत इसे छोड़ दिया और किसानों के साथ खड़ा होने का फैसला किया।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि उन्होंने सरकार से कहा था कि विधेयक लाने से पहले किसानों को विश्वास में लेना चाहिए। उन्होंने दावा किया, ‘‘मैं पिछले दो-ढाई महीने से लगातार प्रयास कर रही थी।’’
हरसिमरत ने कहा कि जब उनके आग्रह पर ध्यान नहीं दिया गया तो शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने संसद में इन विधेयकों का विरोध करने का फैसला किया। हरसिमरत ने कहा था कि वह इस्तीफा दे चुकी हैं अब वह विधेयकों के खिलाफ लड़ाई में किसानों के हाथ मजबूत करेंगी।
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा था कि किसानों के कल्याण की तुलना में उनकी पार्टी के लिए किसी गठबंधन या सरकार का कोई महत्व नहीं है और उनकी पार्टी अन्नदाता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाएगी। सुखबीर ने कहा कि राजग सरकार द्वारा किसानों और शिअद की मांग के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक अधिकार बनाने से इनकार करने के बाद पार्टी ने विधेयकों के खिलाफ मतदान करने का फैसला किया।
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