रेलवे का मुआवजा नहीं मिला तो ट्रेन किसानों की
नई दिल्ली: भूमी अधिग्रहण विधेयक पर चल रहे बवाल के बीच एक चौंकाने वाली खबर आई है कि हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के दो किसान 16 अप्रैल को दिल्ली-ऊना जनशताब्दी एक्सप्रेस के मालिक बन
नई दिल्ली: भूमी अधिग्रहण विधेयक पर चल रहे बवाल के बीच एक चौंकाने वाली खबर आई है कि हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के दो किसान 16 अप्रैल को दिल्ली-ऊना जनशताब्दी एक्सप्रेस के मालिक बन सकते हैं।
ऊना के अडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज मुकेश बंसल ने 9 अप्रैल को आदेश दिया कि अगर रेलवे किसानों को मुआवजा नहीं दे सकता है तो हिमाचल से चलने वाली दिल्ली-ऊना जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन को जब्त कर लिया जाए।
अदालत ने कहा है कि अगर रेलवे 15 अप्रैल तक मेला राम और मदन लाल को मुआवजे के करीब 35 लाख रुपए नहीं दे सका तो 16 अप्रैल को ऊना स्टेशन पर सुबह 5 बजे ट्रेन रोककर जब्त कर ली जाए। रेलवे ने इन दोनों किसानों की जमीन का अधिग्रहण 1998 में अम्ब अंदौरा से ऊना तक बिछाए जा रहे रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए किया था।
मेला राम को रेलवे ने 8.91 लाख रुपए का भुगतान करना है और मदल लाल को 26.53 लाख रुपए का। रेलवे की ओर से इस रकम के भुगतान में लगातार देरी होने पर इन दोनों ने कोर्ट की शरण ली।
इससे पहले 2013 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने रेलवे को 6 महीने में दोनों किसानों को रकम का भुगतान करने को कहा था। इसके बावजूद दोनों किसानों को अभी तक जमीन का मुआवजा नहीं मिल सका है।
अगर अदालत के आदेशों का पालन किया गया तो शायद ये दोनों देश के पहले ऐसे किसान होंगे जो एक ट्रेन के मालिक होंगे।
किसानों के वकील अरुण कुमार सैनी ने बताया कि दोनों किसानों ने रेलवे से बढ़े हुए मुआवजे की मांग की थी। इसके खिलाफ रेलवे ने भी कोर्ट की शरण ली पर 2011 में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने रेलवे को बढ़ा हुआ मुआवजा देने को कहा। सैनी का कहना था कि उन्होंने चार ट्रेनों- दो पैसेंजर, हिमाचल एक्सप्रेस और जनशताब्दी के नाम दिए थे, जिसमें से कोर्ट ने जनशताब्दी को जब्त करने का आदेश दिया है।