नई दिल्ली. किसान आंदोलन में दिल्ली दंगों के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने को लेकर किसान संगठनों पर सवाल उठ रहे हैं। कल टीकरी बॉर्डर पर किसान यूनियन उगराहां गुट ने दिल्ली दंगे के आरोपियों उमर खालिद, शरजील इमाम और खालिद सैफी के पोस्टर लगाए थे और उन्हें रिहा करने की मांग की गई थी। इंडिया टीवी ने सबसे पहले ये खबर दिखाई थी और दिखाया था कि कैसे टीकरी बॉर्डर पर कुछ लोग किसानों को मंच से आंदोलन को हाईजैक कर रहे हैं।
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आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के मंच पर दिल्ली दंगे के आरोपियों के पोस्टर लगाए जाने पर सवाल उठाया है। तोमर ने कहा कि किसान की मांग एमएसपी और कानून में बदलाव पर हो सकती है लेकिन ये कौन सा किसान आंदोलन है जिसमें दंगे के आरोपियों के पोस्टर लग रहे हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इससे किसान आंदोलन बिखर जाएगा और नेताओं को इससे बचना चाहिए।
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सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार- नरेंद्र सिंह तोमर
इससे पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई। सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव उनके (किसानों) पास है, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई। मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभी उनकी तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है, जैसे ही प्रस्ताव आएगा हम बातचीत के लिए तैयार हैं।
'गतिरोध तोड़कर बातचीत करें किसान'
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए। सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है। प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है। उन्हें आंदोलन समाप्त करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए।"
'भारत सरकार ने कानून बहुत सोच-समझकर बनाए हैं कानून'
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कानून बहुत सोच-समझकर बनाए हैं, किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बनाए हैं। सरकार बात करके उसमें(कानून) सुधार करने के लिए तैयार है। सर्दी का मौसम है और कोरोना का संकट है, किसान बड़े खतरे में पड़े हुए हैं। आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है, दिल्ली की जनता परेशान हो रही है। इसलिए जनता के हित में, किसानों के हित में उनको(किसानों) अपने आंदोलन को समाप्त करना चाहिए।
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